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दलाईलामा ने किया अमरीका का गुणगान

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 23 2019 4:30PM | Updated Date: Sep 23 2019 4:30PM
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मथुरा। तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने आज कहा कि अमेरिका ऐसा देश है जो परेशानी होने पर हर देश की मदद करता है। आश्रम रमणरेती में दलाई लामा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अमेरिका परेशानी में पड़े देशों की मदद करता है तथा उसने यूएनओं में उनकी (दलाई लामा) भी मदद की थी। अन्य देशों को भी इसी प्रकार दूसरों की मदद करनी चाहिए। उनसे जब उनके उत्तराधिकारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने तो 1969 में ही कह दिया था कि  दलाई लामा का पद महत्वपूर्ण नही है जितना यह महत्वपूर्ण है कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों को बौद्ध धर्म का अधिकतम ज्ञान हो। उनका कहना था कि बौद्ध संस्थाओं में लगभग दस हजार विद्यार्थी आज भी बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण करते हैं । हिमालयी क्षेत्र में 6 हजार विद्यार्थी बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । बौद्ध धर्म को अगर तार्किक दृष्टि उसे समझा जाएगा तो वह अधिक प्रभावी होगा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है और आज भी यहां नालंदा परंपरा देखने को मिलती है।
 
चीन में सबसे ज्यादा बौद्ध भिक्षु रहते हैं किंतु बैोद्ध धर्म के साक्ष्य और प्रमाण सबसे ज्यादा भारत में ही देखने को मिलते हैं। जितने भी विद्वान यहां पर बौद्ध धर्म का अध्ययन करने आए उन्होंने बुद्ध के सिद्धांतों को समझा, परखा और तब विश्वास किया । उन्होंने कहा कि चीन सबसे अधिक आबादी वाला देश है तथा उसके बाद भारत का नम्बर आता है। चीन में सबसे ज्यादा बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं।चीन के कई विद्वान भारत आए।उन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को परखा, समझा और फिर विश्वास किया । उन्होंने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा विभिन्न सम्प्रदाय के लोग रहते हैं  किंतु कभी ऐसा देखा नही गया कि कोई अपने धर्म या सम्प्रदाय के नाम पर लड़ता है। भारत अहिंसा , करूणा और मैत्री का संदेश देनेवाला ऐसा देश है जो दुनिया के सामने उदाहरण बना हुआ है। उन्होंने मुम्बई के एक क्षेत्र का जिक्र किया जहा बहुत थोड़े पारसी रह रहें हैं पर उनके सामने कभी भी प्रकार की समस्या नही हुई। यह भारत की विशेषता है। उन्होंने शिया सुन्नी से आपस में न लड़ने का भी आव्‍हान किया।
 
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