वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट आज फिर कोर्ट में पेश नहीं हो सकी। एएसआई ने रिपोर्ट पेश करने के लिए कोर्ट से तीन हफ्ते का समय मांगा है। बता दें कि मंगलवार को ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट पेश करने का अंतिम दिन था। उम्मीद जताई जा रही थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग मंगलवार को वाराणसी जिला अदालत में रिपोर्ट पेश कर देगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग तीन हफ्ते बाद ज्ञानवापी की रिपोर्ट वाराणसी जिला अदालत में पेश करेगा।
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले में लगभग 3 महीने तक चले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट आज (28 नवंबर) को वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में पेश होनी थी। लेकिन एएसआई एक बार फिर से ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करने में असमर्थ रही और उसके लिए फिर से तीन हफ्तों का समय मांगा। हालांकि इससे पहले सर्वे रिपोर्ट अदालत में पेश होने को लेकर गहमा गहमी बनी हुई थी।
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की डेडलाइन को पहले भी कई बार बढ़ाया जा चुका है। इससे पहले कोर्ट द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने की तय की गई समय सीमा आज समाप्त हो गई। इससे पहले एएसआई ने 18 नवंबर को कोर्ट से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने का वक्त मांगा था, लेकिन कोर्ट ने रिपोर्ट पेश करने के लिए दस दिन का समय दिया था।
बता दें कि कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद में करीब 100 दिनों तक एएसआई की टीम ने सर्वे का काम किया। इस दौरान दोनों पक्षों के लोग, एएसआई के साइंटिस्ट और स्थानीय प्रशासन के साथ मौजूद रहे। सर्वे की वीडियोग्राफी भी कराई गई है। एएसआई की रिपोर्ट के कोर्ट में पेश करने के बाद यह पता चल सकेगा कि ज्ञानवापी परिसर में आखिर है क्या?
बता दें कि हिंदू पक्ष की पांच महिलाओं ने दावा किया था कि वर्षों से ज्ञानवापी परिसर में आदि विश्वेश्वर, पार्वती, श्रृंगार गौरी, हनुमान जी समेत अन्य विग्रह विद्यमान हैं। इसे पहले विदेशी आक्रांताओं ने क्षतिग्रस्त कर मलबे से ढक दिया। हालांकि इसमें श्रृंगार गौरी सहित कुछ विग्रह दिख रहे हैं, लेकिन उनके पूजन से रोका जाता है। कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट कमीशन की कार्रवाई की। कोर्ट कमीशन के सर्वे में वजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति पाए जाने के बाद मामला गरमा गया।
हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग बताया तो वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा करार दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया। उसके बाद हिंदू पक्ष ने इसका एएसआई सर्वे कराने की मांग की। जिसपर कोर्ट ने स्वीकृति दे दी। उसके बाद एएसआई ने ज्ञानवापी में सर्वे का काम शुरू किया।