नई दिल्ली। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ दायर मानहानि याचिका पर 29 जनवरी (सोमवार) को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दरअसल, इस मानहानि के मामले में धोनी के ही पुराने दोस्त ने उन पर मुकदमा दर्ज करवाया था। धोनी के वकील सुनवाई के दौरान कहा कि उनके खिलाफ दायर मानहानि याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है।
हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिलहाल धोनी, कई मीडिया घरानों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, ताकि उन्हें किसी भी मंच पर वादी के खिलाफ किसी भी कथित झूठी मानहानिकारक सामग्री को पोस्ट करने या प्रकाशित करने से रोका जा सके जो उनकी साख और प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकती है।
धोनी के वकील हाईकोर्ट में पेश हुए और कहा कि पूर्व भारतीय कप्तान के खिलाफ दायर मानहानि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उनके वकील ने आगे कहा कि उन्हें वादपत्र और संबंधित दस्तावेजों की प्रति नहीं मिली है और उन्हें मामला दायर करने के बारे में केवल उच्च न्यायालय रजिस्ट्री द्वारा सूचित किया गया था।
इस पर अदालत ने वादी के वकील से तीन दिन के भीतर धोनी के वकील को दस्तावेजों का पूरा सेट उपलब्ध कराने को कहा। वादी की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह केवल मीडिया द्वारा निष्पक्ष रिपोर्टिंग चाहते थे और दावा किया कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ मीडिया रिपोर्टिंग निष्पक्ष नहीं थी क्योंकि उन्हें पहले ही ठग और चोर करार दिया जा चुका है।
मीडिया हाउसेस में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सिद्धांत कुमार ने यह भी तर्क दिया कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और उन्होंने पहले के फैसले में कहा था कि जब तक मीडिया घरानों सहित प्रत्येक प्रतिवादी के खिलाफ विशिष्ट आरोप नहीं लगाए जाते, तब तक कोई मामला नहीं बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला इस अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
न्यायमूर्ति सिंह ने वादी के वकील से प्रतिवादियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा और मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल तय की है। अदालत ने पहले अपनी रजिस्ट्री से धोनी को उनके दो पूर्व व्यावसायिक साझेदारों द्वारा उनके खिलाफ मानहानि याचिका दायर करने के बारे में सूचित करने को कहा था। वादी के वकील ने पहले कहा था कि क्रिकेटर की ओर से वादी के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया था।
मिहिर दिवाकर और उनकी पत्नी सौम्या दास ने धोनी, कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मीडिया हाउसेस के खिलाफ स्थायी रोक और क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें मानहानि कारक, झूठी बातें बनाने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने से रोकने की मांग की थी।
बाद ने धोनी ने अरका स्पोर्ट्स एंड मैनेजमेंट लिमिटेड के मिहिर दिवाकर और सौम्या के खिलाफ रांची कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। मिहिर दिवाकर धोनी के करीबी दोस्त रहे हैं, वहीं वो उनके बिजनेस पार्टनर भी रहे हैं। मिहिर दिवाकर ने कथित तौर पर दुनिया भर में क्रिकेट अकादमी खोलने के लिए 2017 में महेंद्र सिंह धोनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
धोनी के प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्होंने क्रिकेटर की ओर से रांची की एक अदालत में आरका स्पोर्ट्स के निदेशक मिहिर दिवाकर और सौम्या दास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत एक आपराधिक मामला दायर किया। धोनी के वकीलों ने दावा किया था कि मिहिर दिवाकर ने समझौते में बताई गई शर्तों का पालन नहीं किया।
इस मामले में अरका स्पोर्ट्स को फ्रेंचाइजी का शुल्क भुगतान करना था, वहीं समझौते के तहत प्रॉफिट शेयर करना था, पर समझौते के सभी नियम और शर्तों की धज्जियां उड़ा दी गईं। इसके बाद धोनी ने 15 अगस्त, 2021 को अरका स्पोर्ट्स से अथॉरिटी लेटर वापस ले लिया। उनको धोनी की ओर से कई कई कानूनी नोटिस भेजे गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद धोनी के वकील दयानंद सिंह ने दावा किया है कि अरका स्पोर्ट्स ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, जिससे उन्हें 15 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।