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मरने के बाद भी ‘करवट’ बदलते हैं लोग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 19 2019 1:14PM | Updated Date: Sep 19 2019 1:15PM
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केनबरा। सुनने में यह किसी अजूबे-सा हो सकता है कि इंसान मरने के बाद भी ‘करवट’ बदलने से लेकर अपनी शारीरिक अवस्थाओं  में महत्वपूर्ण बदलाव कर सकता है,लेकिन यह सच है और वैज्ञानिकों की यह नवीनतम खोज फोरेसिंक विशेषज्ञों के लिए जांच में मील का पत्थर साबित होगी। ऑस्ट्रेलिया की सेन्ट्रल क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एलिसन विल्सन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस संबंध में अनुसंधान किया है जिसकी रिपोर्ट ‘फोरेंसिक साइंस इंटरनेशनल सिनर्जी ’जर्नल में प्रकाशित हुयी है।
 
विशेषज्ञों की टीम ने कहा है,‘‘मरने के बाद भी इंसान शारीरिक अवस्था बदलना नहीं छोड़ता। इस नवीनतम जांच से पहले यह माना जाता था कि इंसान का शव जिस अवस्था में पाया जाता है वह मरने के समय उसी अवस्था में रहता है। यानी  जब तक उसके साथ किसी तरह  की छेड़छाड़ नहीं की जाये तो वह अपनी स्थिति में बदलाव नहीं कर सकता। लेकिन हमारे अनुसंधान ने इस अनुमान को खारिज कर दिया है।’’ प्रोफेसर विल्सन ने कहा,‘‘ एक बार मैंने देखा कि एक शव में हरकत हो रही है।
 
इस संबंध में विस्तार से जानने के लिए मैंने गहरा अध्ययन किया लेकिन कहीं से मुझे कुछ भी नहीं मिला। इसके बाद मैने इस पर शोध करने का निर्णय लिया।’’ विशेषज्ञों की टीम ने प्राकृतिक रुप से मरे इंसान के दान में मिले  शव पर अनुसंधान करके यह नायाब नतीजा हासिल किया है। उन्होंने करीब 17 माह तक शव के क्षय होने की प्रक्रिया की फोटो ली और शव के पूरी तरह से क्षय हो जाने तक उसकी गतिविधियों की  रिकॉर्डिंग की।
 
इस दौरान उन्होंने पाया कि शव अपने आप हिलडुल रहा है और अपनी अवस्था में परिवर्तन कर रहा है।  प्रयोग के लिए उन्होंने शुरू में शव के हाथों को शरीर से लगाकर रखा और एक समय के बाद उन्होंने पाया कि दोनों  हाथ एक तरफ हो गये। उन्होंने कहा ,‘‘हम समझते हैं कि शव में यह हरकत क्षय की प्रक्रिया के दौरान परिरक्षण तथा लिगामेंट्स के सूखने की वजह से हो सकती  है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ हमारी यह खोज फोरेंसिक  विशेषज्ञों के लिए काफी मददगार सिद्ध होगी।
 
वे क्राइम सीन की सही तरह से मैपिंग कर सकेंगे, शव की अवस्था की सही  स्थिति समझ सकेंगे और मौत के  कारणों के बारे में सटीक जानकारी हासिल कर सकेंगे। ’’अनसुंधानकर्ताओं का मानना है कि यह पहली  बार हुआ है जब मौत के बाद क्षय की विभिन्न प्रक्रियाओं के दौरान मनुष्य के शरीर में होने वाले प्राकृतिक बदलाव के बारे में जानने का प्रयास किया गया है।
 
 
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