लारनासा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत और साइप्रस के बीच धन शोधन के मुद्दे पर हुए समझौते से दीर्घ काल में स्वच्छ अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ने साइप्रस की प्रतिनिधि सभा को संबोधित करते हुए कहा 'भारत स्वच्छ अर्थव्यवस्था का सृजन करने के लिए प्रयासरत है और यह घरेलू तथा वैश्विक समस्या है।
इस संदर्भ में भारत की वित्तीय खुफिया इकाई और साइप्रस की मनी लॉड्रिंग निरोधक इकाई के बीच सोमवार को हुए समझौते का दोनों देशों को फायदा होगा।' उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को अंतिम रूप देने का आग्रह किया है और इस मामले में भारत को साइप्रस से समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है।
उन्होंने कहा 'हम आपके समर्थन की उम्मीद करते हैं और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में साइप्रस ने भारत की उम्मीदवारी तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह के बारे में जो समर्थन दिया उसका शुक्रिया अदा करना चाहूंगा।' राष्ट्रपति ने भारत सरकार के घरेलू स्तर पर किए जा रहे कुछ निश्चित उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे देश में विनिर्माण और व्यापरिक क्षमता के बारे में कर सुधारों से घरेलू बाजार को काफी फायदा हुआ है। उन्होंने कहा जीएसटी के क्रियान्वयन से देश के सभी 29 राज्यों में एकसमान, साधारण और डिजिटल आधारित कर प्रणाली का आरंभ हुआ है और इसने पूरे देश को एक समान व्यापार तंत्र में एकीकृत कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसकी तुलना यूरोपीय संघ को एक समान वित्तीय ढांचे में लाए जाने से की जा सकती है।
राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों का किया जिक्र
राष्ट्रपति ने कहा कि इसके अलावा भी और प्रयास किए गए हैं और ऋण शोधन क्षमता तथा दिवालिया कोड के लागू होने जाने से अच्छा कारोबार नहीं करने वालों के इस क्षेत्र से जाने में मदद मिली है। उन्होंने दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा, भारत में इस बात को काफी शिद्दत के साथ याद किया जाता है कि 50 वर्ष पहले साइप्रस ने महात्मा गांधी की शताब्दी पर दो डाक टिकट जारी किए थे और ये डाक टिकट अभी भी संग्रहकर्ताओं के पास हैं। यह भी एक संयोग ही है कि मेरी यात्रा दो अक्टूबर से कुछ हफ्तों पहले हो रही है जब हम उनकी जंयती की 150 वीं वर्षगांठ मनाने का दो वर्षीय कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और साइप्रस जिम्मेदार राष्ट्र होने के नाते अंतरराष्ट्रीय प्रकिया के समक्ष आ रही चुनौतियों का सामना करने को तैयार हैं। सभ्यताओं के तौर पर हम हजारों वर्षो से खुले समाजों और व्यापारिक अर्थव्यव्स्थाओं के तौर पर रह चुके हैं और व्यापार, समुद्री क्षेत्र तथा वैश्विक समुद्री क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में नियम तथा प्रकिया आधारित प्रणाली की लगातार प्रासंगिकता हमारे लिए भरोसे का प्रतीक है।
आर्कबिशप को श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी और आर्कबिशप माकारियोज किसी एक देश के नहीं हो सकते। वे मानवता की धरोहर का हिस्सा हैं। उन्होंने ग्रीक के पादरी और माकारियोज तृतीय को श्रद्धांजलि देते हुए यह बात कही जो साइप्रस चर्च के आर्कबिशप, प्राइमेट पद पर भी 1950 से 1977 तक रहे थे। वह साइप्रस के पहले राष्ट्रपति (1960 से 1977) थे और तीन बार के राष्ट्रपति कार्यकाल में उन पर चार बार जानलेवा हमले हुए तथा एक बार तख्तापलट की नाकाम कोशिश भी हुई।