तेहरान। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने यह भी कहा कि वे अमेरिका द्वारा ईरान के बलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को समाप्त करने के दबाव के बावजूद देश की रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाते रहेंगे। बता दें कि अमेरिका ने 2015 में पी5+1 और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौतों से मई में हाथ खींच लिए थे। उन्होंने इस महीने की शुरूआत में फिर से प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं जो दूसरे देशों को ईरान के साथ व्यापार करने से रोकता है। इसके बाद से ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ गई है।
उधर, ईरान के एक वरिष्ठ धर्मगुरु अयातुल्ला अहमद खातेमी ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके देश पर इजरायल और अमेरिका द्वारा हमला किया गया तो, ईरान उसका उचित जवाब देगा। खातेमी ने तेहरान में ईद की नमाज में इकट्ठा हुए लोगों से यह भी कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ बातचीत असंभव है। उन्होंने कहा, 'अमेरिकी कहते हैं कि वार्ता के दौरान वे जो कह रहे हैं, उसे स्वीकार करना होगा। यह वार्ता नहीं तानाशाही है। ईरान तानाशाही के खिलाफ खड़ा होगा।'
युद्ध की कीमत काफी होगी ऊंची
खातेमी ने कहा कि ईरान के साथ युद्ध की कीमत काफी ऊंची होगी। उन्होंने साथ ही कहा कि अगर अमेरिका उनके देश को जरा सी भी हानि पहुंचाने की कोशिश करेगा तो अमेरिका और क्षेत्र में इसके सहयोगी देश इजरायल को निशाना बनाया जाएगा। इससे पहले देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई इससे पहले परमाणु समझौते पर ट्रंप के बिना शर्त वार्ता के प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा चुके हैं कि अगर वे (अमेरिकी) मिलना चाहते हैं तो ठीक है, अगर वे नहीं मिलना चाहते तो वह इसकी जरा सी भी परवाह नहीं करते।