पेरिस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 जून को प्रस्तावित अमेरिकी दौर से पहले अमेरिकी निवेश से जुड़ी एक बड़ी खबर आई है। अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में एफ-16 लड़ाकू विमान बनाने के लिए सोमवार को टाटा समूह से करार किया। अभी ये विमान कंपनी के फोर्ट वर्थ (टेक्सास) के प्लांट में बनाए जाते थे, लेकिन भारतीय सेना से अरबों डॉलर के सौदे मिलने की उम्मीद में कंपनी ने भारत में अपना प्लांट लगाने की तैयारी शुरू की है।
भारत में एफ-16 ब्लॉक 70 के उत्पादन के लिए लॉकहीड मार्टिन और टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है। एफ-16 ब्लॉक 70 विमान भारतीय वायुसेना के सिंगल इंजन फाइटर जरूरतों के लिए उपयुक्त हैं। इससे देश के निजी क्षेत्र में रक्षा उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
एफ-16 की विशेषताएं
1. यह एक इंजन वाला सुपरसोनिक मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है।
2. चौथी पीढ़ी का सबसे आधुनिक फाइटर जेट है।
3. इसमें सबसे एडवांस रडार सिस्टम है।
4. उम्दा जीपीएम नैविगेशन।
5. घातक हथियार से लैस इस विमान में एडवांस स्नाइपर टारगेटिंग पॉड भी है।
देश को होंगे ये बड़े फायदे
- इस सौदे के तहत लॉकहीड टेक्सास के अपने फोर्ट वर्थ कारखाने का ट्रांसफर भारत में करेगी। हालांकि, इससे अमेरिका में सीधे कोई नौकरी नहीं जाएगी। लेकिन इतना तय है कि इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और भारत में भी नौकरियां बढ़ेंगी। साथ ही, इससे भारत में निजी एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण क्षमता के विकास में भी सीधी मदद मिलेगी।
- रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो देश में अभी इस तरह के 200 लड़ाकू विमानों की जरूरत है। अगर हम इतनी तादाद में इन विमानों को बाहर से इम्पोर्ट करते हैं तो इससे अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ेगा। लेकिन यदि इनका निर्माण भारत में ही होगा तो इसका लागत मूल्य आधे से भी कम हो जाएगा।
- कंपनी का दावा है कि एफ-16 ब्लॉक 70 उसका सबसे नया और सबसे उन्नत तकनीक पर आधारित विमान है यदि ऐसा है तो भारत के पास ऐसे उन्नत कतनीक के विमान के होंगे जो अन्य देशों के पास न के बराबर होंगे।
- इसके अलावा देश को चीन और पाकिस्तान से हमेशा से ही खतना बना रहता है। यदि भारतीय वायुसेना में एफ-16 लड़ाकू विमान शामिल कर लिए जाते हैं तो पाक-चीन के मुकाबले भारत की वायुसेना मजबूत हो सकेगी।
- इन सबसे इतर एक बड़ा फायदा यह भी है कि यह समझौता पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा से कुछ दिन पहले हुआ है। पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की मुलाकात से पहले हुआ यह समझौता भारत-अमेरिकी रिश्तो के बीच एक सकारात्मक कदम है। वहीं, यह समझौता मेक इन इंडिया कैंपेन के लिए एक बड़ा उदाहरण भी साबित होगा।