काबुल। अमेरिका के साथ शांति की कोशिशों में लगे तालिबानी नेताओं की आमराय है कि ईरान-अमेरिका के बीच ताजा तनाव को देखते हुए तालिबान का कोई नाजायज फायदा उठाए। सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी हमले में ईरान के कमांडर सुलेमानी के मारे जाने के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच चल रही शांति की कोशिशों पर असर पड़ा है। हालांकि तालिबानी नेताओं का यह गुट किसी भी हालत में अफगानी जनता की नफरत नहीं चाहता और न ही दूसरों के लिए लड़ाई के हथियार की तरह इस्तेमाल होना चाहता है। तालिबान के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुल्ला अख्तर मंसूर वाला तालिबानी गुट ईरान के प्रभाव में है।
इस गुट का ज्यादातर असर पश्चिमी और दक्षिणी अफगानिस्तान में है। तालिबान के पूर्व कमांडर सैयद अकबर आगा का कहना है कि तालिबानी हमेशा से देशभक्त रहे हैं और वो कभी नहीं चाहते कि तालिबानी जमीन का कभी भी किसी दूसरे के हित में इस्तेमाल हो। पिछले साल अमेरिका ने ईरान पर तालिबानियों और मध्य-पूर्व के कुछ और गुटों को फज्र मिसाइलें सप्लाई करने का आरोप लगाया था। दिसंबर 2018 में भी अफगानी अधिकारियों ने गजनी में दावा किया था कि तालिबानियों के पास से ईरान में बने हथियार बरामद किए गए थे। जबकि ईरान हमेशा से ऐसे आरोपों का खंडन करता रहा है।
दूसरी तरफ ईरानी नेता कयूम सज्जादी ने साफ कहा है कि बेशक ईरान अमेरिका के खिलाफ हर तरह के विकल्प आज़माएगा लेकिन ऐसा नहीं लगता कि इसके लिए तालिबान का इस्तेमाल किया जाएगा। इस बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब ने काबुल में ईरानी राजदूत से मिलकर अमेरिका और ईरान से बातचीत के जरिये आपसी तनाव दूर करने की अपील की। उन्होंने ईरानी राजदूत से ये भी साफ कर दिया कि अफगानिस्तान अपने पड़ोसियों को भरोसा दिलाना चाहता है कि वह किसी और देश को अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी हालत में नहीं करने देगा।