वाशिंगटन। इराक की राजधानी बगदाद में अमेरिका की ओर से किये गये हवाई हमले में ईरानी कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी तथा उसके कई सहयोगियों के मारे जाने के बाद रविवार को दोनों देशों के एक-दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग तेज किए जाने के बाद तनाव और गहरा गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह अमेरिका को दोबारा निशाना बनाता है, तो उस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया जायेगा जबकि ईरान ने भी जवाबी कार्यवाई करने की चेतावनी दोहराई है।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पूरी दुनिया ईरान और अमेरिका से खाड़ी में शांति बनाये रखने की अपील कर रही है। ओमान ने दोनों देशों से तनाव कम करने और संयम बरतने की अपील की है वहीं कनाडा ने तनाव को देखते हुए अपने देश के नागरिकों से पश्चिम एशिया या खाड़ी क्षेत्रों में नहीं जाने की अपील की है। ईरानी सेना के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल रहीम मौसावी ने ट्रंप के हाल में दिये बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिका में इतना साहस नहीं है कि वह 52 ईरानी ठिकानों पर हमला कर सके।
ईरानी आईआरआईबी प्रसारणकर्ता ने जनरल मौसावी के हवाले से कहा,‘‘मुझे संदेह है कि वे (अमेरिका) भविष्य में संभावित संघर्ष के दौरान शायद ही ऐसा करने की हिम्मत दिखाएंगे।’’ गौरतलब है कि ट्रंप ने कहा था कि यदि ईरान सुलेमानी की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए एक भी अमेरिकी नागरिक और संपत्ति को क्षति पहुंचाता है तो अमेरिका उन 52 ईरानी ठिकानों पर ‘बहुत तेज और काफी सख्त हमला’ कर देगा जिनकी पहचान कर ली गयी है। इस बीच ईरान के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की उक्त धमकी को लेकर तेहरान में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने वाले स्विस राजदूत मार्कुस लिटनर को आज तलब कर उनके समक्ष अपना विरोध जताया।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा,‘‘राजनीतिक मामलों के ईरानी उप विदेश मंत्री अब्बास अर्घची ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और कानून का उल्लंघन करने वाली धमकियों के बारे में तेहरान की ओर से कड़ा विरोध जताया।’’ उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों पर ऐसे शत्रुतापूर्ण धमकियां युद्ध अपराधों को उत्पन्र का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा,‘‘ईरान राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के बारे में किसी भी खतरे या कार्यवाई का जवाब देने के लिए तैयार है।’’