नई दिल्ली। राज्यसभा ने सरकार के इस आश्वासन कि देश में पुराने जलपोत तोड़ने के उद्योग के नियमन में पर्यावरण और श्रमिकों की आर्थिक तथा सामाजिक सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है, ‘पोत पुनर्चक्रण विधेयक 2019’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पिछले सप्ताह की पारित कर चुकी है जिससे इस पर आज संसद की मुहर लग गयी। जहाजरानी राज्य मंत्री मनसुख लाल मांडविया ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पोत पुनर्चक्रण उद्योग ‘वेल्थ क्रिएटर’ है क्योंकि इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार तो मिलता ही है साथ ही पुराने पोत में लगे उपकरणों और सामान को दूसरी जगह इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने कहा कि विधेयक के पारित होने के बाद पोत तोड़ने की प्रक्रिया का नियमन करने वाली ‘हांगकांग कन्वेन्शन’ को भी संसद की मंजूरी मिल जायेगी जिससे देश में पुनर्चक्रण के लिए ज्यादा पोत आयेंगे और राजस्व प्राप्ति के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि अभी देश में लगभग 300 पोत तोड़े जाने के लिए आते हैं और इस उद्योग के नियमन के बाद इनकी संख्या बढकर 600 तक पहुंच जायेगी। मंडाविया ने कहा कि गुजरात के अलंग में 95 प्लाट हांगकांग कन्वेन्शन के मानकों के अनुरूप बनाये गये हैं और उनका पालन करते हैं। विधेयक के पारित होने के बाद उन्हें इस कन्वेन्शन के मानकों के पालन का प्रमाण पत्र मिल जायेगा।
उन्होंने कहा कि इस उद्योग का नियमन करते समय श्रमिकों की सुरक्षा और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को पूरा ध्यान रखा गया है। साथ ही श्रमिकों के प्रशिक्षण और उनके स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव का भी ध्यान रखा जायेगा। श्रमिकों को न्यूनतम वेतन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अलंग में काम करने वाले श्रमिकों को पहले ही दोगुना अधिक वेतन मिलता है। नियमन के लिए गठित किये जाने वाले राष्ट्रीय प्राधिकरण को केवल निगरानी संस्था बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका गठन राज्य सरकार ही करेगी और केन्द्र का इसमें ज्यादा हस्तक्षेप नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसके प्रमुख के मातहत सभी संबंधित ऐजेन्सियों के प्रतिनिधि काम करेंगे।