झांसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने वाली पं दीनदयाल उपाध्याय गाम्रीण आजीविका मिशन के महत्व को शनिवार को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे अभिनव कार्यक्रमों से जुड़कर महिलाएं तो स्वावलंबी होंगी और महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से देश स्वावलंबी हो जायेगा। यहां दो दिवसीय दौरे पर आये प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राजकीय पैरामैडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी का उद्घाटन कर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर बहनें एकजुट होकर स्वावलंबन के इस प्रकार के अभिनव कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ेंगी तो उनके द्वारा गठित होने वाले स्वयंसमूहों द्वारा ग्रामीण आजीविका को मजबूती प्रदान करना न केवल उन्हें आत्म निर्भर बनाएगा बल्कि शोषण से मुक्त एक आदर्श व्यवस्था देने में भी बड़ी सफलता प्राप्त होगी।
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वंयसेवी समूह बनाकर स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जा सके इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से पांच साल पहले पं दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण आजीविका मिशन को युद्धस्तर पर आगे बढाने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनायी थी। यह एक बहुत बडा कार्य है न केवल महिलाओं को स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने में बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्वालंबन और ग्राम स्वराज की अवधारणा को साकार करने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है इसलिए आज का यह कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। दीनदयाल ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 5 वर्ष पूर्व एक व्यापक कार्ययोजना बनी थी। एक बड़ा कार्य है ये। न केवल ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने में बल्कि पूज्य बापू के ग्राम स्वाराज्य की और स्वावलंबन की अवधारणा को स्थापित करने में इस कार्यक्रम की बड़ी भूमिका है।
इस कार्यक्रम की शुरुआत वीरांगना महारानी की भूमि पर हो रहा है जिन्होंने कहा था ‘‘ मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’’ यह स्वावलंबन और सम्मान का अपूर्व शब्द जिसने भारतवर्षियों को 150 वर्ष बाद भी अपनी राष्ट्रीयता के प्रति समर्पित करने के लिए प्रेरित किया है और जोड़े रखा है। न केवल मातृ भूमि के लिए समपर्ण बल्कि माताओं बहनों के प्रति भी सम्मान का भाव बनाए रखा है। बहुत बड़ा कार्य हो सकता है। मैं देख रहा था,बाहर प्रदर्शनी लगी हुई है। जिन्होंने स्वयं समूह बनाकर कार्य प्रारम्भ किया। शुरु में थोड़ा बहुत फण्ड मिलने पर विश्वास नहीं हो रहा था कि सफलता मिलेगी। लेकिन आज अपनी मेहनत से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। बहुत अच्छी शुरुआत है। थोड़ी सी मेहनत से बलिनी बुन्देलखण्ड को अन्ना प्रथा की कुप्रथा से हमेशा के लिए मुक्त कर देगी। यहां दूध की नदियां बहती दिखाई देंगी।
बुन्देलखंड में अपार संभावनाएं हैं। शासन ने निराश्रित गौवंशों के लिए गौशाला बनाकर एक व्यवस्था प्रारम्भ की है जो किसान इन गौशालाओं से गौवंशों को अपने घर रखना चाहता है तो उसे 900 रुपए प्रति माह दिए जाएंगे। गाय के गोबर की अगरबत्ती बनाई जा रही है। आप इसे मंदिर में जलाइए और मच्छर भी भगाइए। इससे कोई नुकसान नहीं लाभ ही लाभ है। यहां पर भूसा बनाने वाली मशीन के लिए भी अनुदान दिया है , ट्रैक्टर दिया जा रहा है। यदि गांव में ही महिला स्वयंसेवी समूह स्कूली यूनीफॉर्म बनाने का कार्य करेगा तो एक करोड़ 80 लाख बच्चों को यूनीफॉर्म का कार्य गांव की महिलाओं को दिया जाएगा और ये पैसा गांव में ही रहेगा। पुराणों का जिक्र करते हुए प्लास्टिक के नुकसान को रेखांकित करते हुए कहा कि यह हर स्थान पर नुकसानदायक है, स्वयंसेवी समाज ने इसे भी विकल्प में रखा है। पत्तल बनाने का कार्य मशीनों के माध्यम से। गांव में यदि महिलाएं स्वावलम्बी हो जाएगी तो समाज और देश स्वावलंबी होगा।