चंडीगढ़। इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(एनसीआर) में प्रदूषण के लिये किसानों के पराली जलाने को ही दोष नहीं दिया जा सकता बल्कि इसके और भी कई कारण हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि फरीदाबाद, गुरुग्राम, बल्लबगढ़ और राजधानी दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे लोगों को विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों में सांस, चर्म और आंखों की बीमारियां बढ़ रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कि वह केवल किसानों को ही प्रदूषण के लिये जिम्मेदार ठहरा उन्हें प्रताड़ति करने में लगी है। जबकि पानीपत में ताप विद्युत संयंत्र, दिल्ली में और इसके आसपास के क्षेत्रों में ईंट भठ्ठे, कूड़ा कर्कट और कारखाने भी प्रदूषण के बढ़ने का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण ने पानीपत ताप विद्युत संयंत्र पर तीन करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है क्योंकि इससे निकलने वाली राख के कारण आसपास के क्षेत्रों में 90 प्रतिशत लोगों को सांस की, चमड़ी और आंखों आदि की बीमारियां दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थीं।
उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे कारखानों, ईंट भठ्ठों और रिहायशी इलाकों में कूड़ा-कर्कट फैलाने वालों और फैक्ट्ररियों से नदी नालों में गिरने वाले रसायन के विरुद्ध राज्य प्रदूषण बोर्ड सख्त कदम नहीं उठाएगा तब तक प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सकता। चौटाला ने कहा कि यह सही है कि सरकार को प्रदूषण का स्तर नीचे लाने के लिये नागरिकों के सहयोग की भी जरूरत जैसे पंजाब में बलबीर सिंह सींचेवाल ने काली बेईं नदी के जल प्रदूषण को नागरिकों के सहयोग से निम्न स्तर पर लाकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। लेकिन सरकार ने राज्य में लगभग 2000 से ज्यादा किसानों पर मामले दर्ज कर वायु प्रदूषण को काबू करने का हल सोचा है।
उन्होंने सवाल किया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु अथवा जल प्रदूषित करने वालों कितने संयंत्रों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनके खिलाफ कार्रवाई की है। इनेलो नेता ने मांग की उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार जिन किसानों ने परानी नहीं जलाई है उन्हें हरियाणा सरकार को प्रति क्विंटल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अतिरिक्त तौर पर 100 रुपए प्रति क्विंटल और प्रति एकड़ एक हजार रुपए का मुआवजा तुरंत देना चाहिए।