नई दिल्ली। कंपनी कार्य मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 232 (6) के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है जिसमें विलय और अधिग्रहण की योजना में एक ‘नियत तिथि’दर्ज करने की आवश्यकता का उललेख किया गया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस आशय की राय व्यक्त की जा रही थी कि योजना में उल्लेख की जाने वाली ‘नियत तिथि’सदैव ही एक निश्चित कैलेंडर तारीख होनी चाहिए, क्योंकि इस वजह से कंपनियों को अपनी कारोबारी जरूरतों, वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने जैसे कि क्षेत्रवार नियामकों से लाइसेंस प्राप्त करने इत्यादि के आधार पर अपने विलय को किसी भावी तिथि से प्रभावी करने में दिक्कतें आती रही थी।
इसके अलावा, इंडएएस 103 के लिए भी स्पष्टीकरण देने की जरूरत थी, क्योंकि यह लेखांकन से जुड़ी हुई है और इसमें ‘अधिग्रहण तिथि’ का उपयोग एक ऐसी तारीख के रूप में किया जाता है, जब कोई अधिग्रहणकर्ता किसी कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में बाकायदा ले लेता है। सर्कुलर में यह स्पष्ट किया गया है कि कंपनियां किसी विशेष आयोजन के आधार पर विलय/एकीकरण की ऐसी ‘नियत तिथि’का चयन कर सकती हैं, जो कंपनियों के बीच विलय के लिए प्रासंगिक है। इससे संबंधित कंपनियां तब तक स्वतंत्र रूप से काम कर सकेंगी, जब तक कि इस तरह का आयोजन वास्तव में नहीं हो जाता है। सर्कुलर में यह भी स्पषट किया गया है कि धारा 232(6) में प्रयुकत ‘नियत तिथि’को ही कंपनी विलय से संबंधित ‘इंडएएस 103’ मानक के अनुरूप रहने के उद्देश्य से ‘अधिग्रहण तिथि’ माना जाएगा।