अलग-अलग पंचागों में तिथि के कारण विजय दशमी पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति हुई है। कारण है कि कैलेंडर में 19 अक्टूबर को दशहरा बताया गया है। हालांकि ज्योतिषाचार्यों ने 18 अक्टूबर को ही दशहरा पर्व शास्त्र सम्मत बताया है। उज्जैन में इसी दिन बाबा महाकाल की सवारी महाकाल मंदिर से नए शहर फ्रीगंज में आएगी। वहीं महाष्टमी का पर्व भी 17 अक्टूबर को मनेगा।
नवरात्र का पर्व शुरू होने के साथ ही अष्टमी और दशमी तिथि को लेकर असजंस की स्थिति बनी हुई है। इस मामले में ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि 17 अक्टूबर को महाष्टमी का पर्व है। इसी तरह 18 अक्टूबर को सुबह साढ़े 11 बजे तक नवमी तिथि है। इसके पश्चात दशमी तिथि लगेगी। सायंकाल दशमी तिथि होने रावण दहन होगा।
वहीं 19 अक्टूबर को सुबह 11 बजे तक दशमी तिथि रहेगी। इसके बाद एकादशी तिथि लगेगी। वैसे भी महाकालेश्वर मंदिर में ग्वालियर के पंचांग से ही पर्व व त्यौहार मनाए जाते हैं। ग्वालियर पंचाग में भी 18 अक्टूबर को विजय दशमी का पर्व बताया गया है। इसी दिन महाकाल की सवारी भी रावण दहन के लिए आएगी। शास्त्र सम्मत होने से 18 को ही विजय दशमी का पर्व मनाया जाएगा।
महाअष्टमी 17 को मनाई जाएगी
दुर्गा पूजा की महाअष्टमी 17 अक्टूबर बुधवार को है। इस दिन उज्जैन में चौबीस माता मंदिर पर सुबह नगर पूजा की शुरूआत कलेक्टर द्वारा महामाया-महालया देवी को मदिरा की धार चढ़ा कर करेगें। इसके बाद करीब 27 किलो मीटर के दायरे में 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिरों में पूजन होगा। इस दौरान मदिर की धार के साथ बड़बाकुल का भोग लगाया जाएगा।
महाअष्टमी पर खरीदारी शुभ
18 अक्टूर को दोपहर 12 से 3 बजे के बीच वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ रहेगा। दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है। दशहरा के दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। वहीं शस्त्रों की भी पूजा की जाती है।