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मां-बेटे से मारपीट मामला : इंसाफ के लिए धरने पर बैठे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 17 2019 4:34PM | Updated Date: Jul 17 2019 4:34PM
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सिरसा। हरियाणा के सिरसा में विकलांग मां-बेटे के साथ मारपीट के मामले में दिव्यांगजन आयुक्त के निर्देश के बावजूद इंसाफ न मिलने के कारण वह धरने पर बैठ गये हैं। कीर्तिनगर निवासी संदीप शर्मा का लघु सचिवालय पर दिया जा रहा धरना बुधवार को तीसरे दिन जारी रहा। हालांकि इन तीन दिनों में कोई प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा। बरसात के कारण धरनास्थल के आसपास पानी भर गया है लेकिन इसके बावजूद भी संदीप व उसकी दिव्यांग माता ने दिव्यांग संस्था के सदस्यों की तरफ से दिए जा रहे समर्थन के कारण बैंच लगाकर धरना जारी रखा है।
 
इस बीच सिरसा कल्याण मंच से एडवोकेट व पूर्व बार एसोसिएशन के जीपीएस किंगरा ने धरने को समर्थन दिया है। संदीप ने कहा कि उनके साथ सब कुछ गलत हुआ और उनके खिलाफ शहर के पांच पार्षदों व कुछ अन्य लोगों के दिये बयान झूठे निकले, बावजूद इसके न तो स्थानीय प्रशासन और न ही पुलिस ने कोई कार्रवाई की। मां-बेटे ने साफ किया है कि जब तक दोषी पुलिस कर्मचारी राजेश कुमार को टर्मिनेट नहीं करती और झूठे बयान देकर उन्हें बदनाम करने वाले पांच पार्षदों के खिलाफ भी बनती कार्रवाई नहीं करती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि दिव्यांगजन आयोग की ओर से करीब दस दिन पहले जिला उपायुक्त को इस मामले की जांच पुलिस विभाग की बजाय किसी अन्य विभाग से करवाकर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है लेकिन अभी तक जिला उपायुक्त की ओर से भी इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया गया है, जिससे ये साफ जाहिर होता है कि प्रशासन भी दोषियों को बचाना चाहता है। उपायुक्त को भेजे पत्र में आयोग ने लिखा था कि सिरसा में कीर्तिनगर निवासी कमलेश रानी के मामले में कीर्तिनगर चौकी प्रभारी एएसआई राजेश कुमार व अन्य के खिलाफ एक शिकायत दिव्यांगजन आयोग को भेजी गई थी। शिकायत की प्रति उपायुक्त को भेजते हुए यह भी लिखा गया था कि मामले की शीघ्र जांच करवाते हुए रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें लेकिन उपायुक्त की ओर से इस मामले में अभी तक कोई रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई और केवल पुलिस विभाग के माध्यम से सीधे ही रिपोर्ट प्राप्त हुई है।
 
आरोप है कि कीर्तिनगर निवासी संदीप शर्मा व उसकी दिव्यांग माता कमलेश रानी से किराए का मकान खाली कराने के लिए भूपेंद्र सेतिया, राजकुमार, काका, पिन्नू व बल्लू ने जानलेवा हमला किया था लेकिन पुलिस ने चोटों को मामूली दिखाकर हल्की धाराएं लगाई थीं। इसके बाद जब संदीप व कमलेश रानी पुलिस चौकी में गये तो वहां मौजूद चौकी इंचार्ज राजेश कुमार ने उनकी बात सुनने की बजाय सरेआम गाली-गलौज और झगड़ा किया और उनके साथ मारपीट की।
 
इस मामले में स्थानीय स्तर पर एसपी से लेकर डीजीपी व रेंज आईजीपी तक से कोई न्याय हासिल न होने पर उन लोगों ने  दिव्यांगजन आयोग, हरियाणा में याचिका दाखिल की थी। आयोग ने डीजीपी हरियाणा, एसपी सिरसा व चौकी प्रभारी को सम्मन जारी किए थे, लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद चौकी प्रभारी ने खुद ही मामले की जांच करते हुए रिपोर्ट आयोग को भेज दी जिससे आयोग संतुष्ट नहीं हुआ।
 
आरोप है कि एएसआई राजेश कुमार को इस कार्यवाही से बचाने की मंशा से कुछ नगर पार्षदों से सामूहिक तौर पर सामूहिक लिखित बयान दर्ज करवाया गया जिसमें मां-बेटे पर कथित तौर पर लोगों को ब्लैकमेल करके पैसा ऐंठने, किराए का मकान लेकर कब्जा करने और मकान खाली करने की एवज में मकान मालिकों से झगड़ा करके उन पर दबाव डालकर पैसा ऐंठने, सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ  झूठी दरखास्त देने तथा आम कर्मचारियों को परेशान करने का पेशा बनाने जैसे अनेकों प्रकार के आरोप लगाए गये थे।
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