नई दिल्ली। मुक्केबाजी में भारतीय मुक्केबाजों के कुछ अच्छे प्रदर्शन के बीच साल 2019 जाते-जाते कड़वाहट छोड़ गया। भारतीय पुरुष और महिला मुक्केबाजों ने विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया लेकिन छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम और निखत जरीन के बीच दिसम्बर के आखिर में ओलम्पिक क्वालिफायर्स के ट्रायल में हुए हंगामे और विवाद ने कड़वाहट छोड़ दी। इस मुकाबले में मैरीकॉम के मुकाबले की समाप्ति के बाद हाथ नहीं मिलाने से इस लीजेंड मुक्केबाज की खेल भावना पर सवाल उठ गए।
विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में अमित पंघल ने शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में पहुंचने वाले पहले मुक्केबाज बन गए। अमित 52 किग्रा वर्ग में फाइनल में ओलम्पिक चैंपियन शखोबिदिन जोइरोव से 0-5 से हार गए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। अमित ने इस प्रदर्शन के बाद अमित ने अगले साल होने वाले टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने पर निगाहें टिका दी हैं। विश्व प्रतियोगिता में मनीष कौशिक ने 63 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। भारत ने पहली बार विश्व प्रतियोगिता में मुक्केबाजी में पुरुष वर्ग में दो पदक जीते।
ये दोनों मुक्केबाज अब अगले साल चीन में होने वाले मुक्केबाजी के पहले ओलम्पिक क्वालीफायर में सीधे उतरेंगे। दोनों मुक्केबाजों को ट्रायल से छूट दे दी गयी। भारतीय महिला मुक्केबाजों ने विश्व चैंपियनशिप में एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते। मंजू रानी ने 48 किग्रा में अपने पदार्पण में रजत जीता जबकि मैरीकॉम ने 51 किग्रा, लवलीना बोर्गोहेन ने 69 किग्रा और जमुना बोरो ने 54 किग्रा में कांस्य पदक जीता। मैरीकॉम ने सेमीफाइनल में तुर्की की बुसॉनेज काकीरोग्लू के हाथों हार के बाद स्कोंिरग सिस्टम पर सवाल उठाये। उन्होंने ट्विटर पर अपने गुस्से का इजहार भी किया।