नई दिल्ली। ब्याज की रकम नहीं चुका पाने की वजह से लगातार सुर्खियां बटोर रही संकटग्रस्त कंपनी आईएल एंड एफएस के मैनेजमेंट पर अब सरकार का कब्जा हो गया है। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने आईएल एंड एफएस के निदेशक मंडल (बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स) के पुनर्गठन के लिए केंद्र सरकार की अंतरिम याचिका मंजूर कर ली। सरकार की ओर से कॉपोर्रेट मामलों के मंत्रालय ने एनसीएलटी में इसका आवेदन दिया था। अब सरकार आईएल एंड एफएस के बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स में छह सदस्यों को नियुक्त करेगी।
नए बोर्ड में कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी उदय कोटक, आईएएस आॅफिसर विनीत नय्यर, पूर्व सेबी चीफ जीएन वाजपेयी, आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन जीसी चतुवेर्दी, आईएएस आॅफिसर मालिनी शंकर और नंद किशोर शामिल होंगे। नए सदस्यों के निदेशक मंडल को पहली मीटिंग 8 अक्टूबर को करने का निर्देश दिया गया है।
दशकों से एएए रेटिंग पाने वाली आईएल एंड एफएस पर पिछले कुछ वर्षों से कर्ज का स्तर बढ़ता गया। पिछले दो महीने में इसकी स्थिति बद से बदतर हो गई और मूल कंपनी के साथ-साथ सहायक कंपनियां भी ब्याज भुगतान में चूक करने लगीं। सिर्फ आईएल एंड एफएस पर 16 हजार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है जबकि सहायक कंपनियों को मिलाकर कर्ज की रकम 91 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है।