ग्वालियर। आॅनलाइन टिकट घोटाले के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं। इन घोटालों को रोकने के लिए रेलवे 1989 के रेलवे अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रहा है, जिसके तहत ई-टिकट में धोखाधड़ी करने वालों को दंडित करने का प्रावधान इस कानून में शामिल किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन में ऐसा सुझाव दिया गया है कि इस तरह का अपराध करने वालों पर दो लाख रुपए से अधिक का जुमार्ना लगाया जाए। हालांकि, इस प्रस्ताव में, मामले में दोषी पाये गये लोगों की सजा तीन साल से अधिक करने का सुझाव नहीं दिया गया है। मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि इस तरह की धोखाधड़ी का मामला बढ़ रहा है और एक नया प्रावधान शामिल करने की जरूरत महसूस की गयी है। रेलवे सुरक्षा बल ने यह नया प्रावधान प्रस्तावित किया है।इस अधिनियम में संशोधन करने के बाद इसे शामिल किया जाएगा। रेलवे बोर्ड की ओर से इसका अनुमोदित किया जाना बाकी है।
हो चुकी है गिरफ्तारी
सबसे बड़े रेलवे टिकट घोटाले में से एक में मध्य रेलवे ने दो मई को मुंबई से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था जो कथित तौर पर एक फर्जी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर कुछ ही क्षणों में तत्काल टिकट बुक कराने में दलालों की मदद करता था। सॉफ्टवेयर की मदद से एक ही महीने में उसने 35 लाख रुपए से अधिक की कमाई की। पिछले साल दिसंबर में सीबीआई के एक अधिकारी और उसके साथी पर एक अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था ।
यह है वर्तमान नियम
वर्तमान अधिनियम में ई-टिकट धोखाधड़ी के बारे में विचार नहीं किया गया है लेकिन टिकटों के अवैध रूप से बेचने, खरीदने या खरीदने या बेचने का प्रयास करने वाले दलालों को सजा देने का एक प्रावधान है। तीन साल तक जेल या दस हजार रुपए तक जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।