नई दिल्ली। व्यापार घाटा कम करने की मुहिम के तहत भारत ने लाल मिर्च का निर्यात करने के लिए चीन के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किये हैं। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यहां बताया कि वाणिज्य सचिव अनूप वाधवन ने चीन के सीमा शुल्क उप मंत्री ली गुओ के साथ कृषि उत्पादों के निर्यात पर चर्चा की और दोनों देशों के नेतृत्व के निर्देशों के अनुसार आपसी विवाद सुलझाने पर सहमति जताई। यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गयी। बैठक के अंत में दोनों पक्षों ने चीन को लाल मिर्च के निर्यात पर सहमति जताई और इस संबंध में दोनों अधिकारियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। इससे पहले भारत से चीन को आम, करेला, अंगूर, सरसों खल, बासमती चावल, गैर बासमती चावल, मछली और तंबाकू पत्ता का निर्यात किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार इससे भारत में भी मिर्च उत्पादक किसानों को अपनी उपज का ज्यादा मूल्य मिल सकेगा। इस समझौते में भारतीय लाल मिर्च की सभी किस्मों का निर्यात किया जा सकेगा। भारतीय कृषि उत्पादों के आयात में चीन बाधायें खड़ी करता है। वर्ष 2003 में सबसे पहले भारतीय आम पर चीन ने समझौता किया था। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में बासमती चावल, तंबाकू और अब मिर्च पर करार किया गया है। अब तक कुल नौ कृषि उपज के निर्यात पर सहमति बनी है। सूत्रों ने बताया कि फसल खराब होने के कारण चीन ने लाल मिर्च के आयात की सहमति दी है। इसमें ज्यादतर हिस्सा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में होने वाली मिर्च का होगा। वर्ष 2017-18 में कुल 4,43,900 टन लाल मिर्च का निर्यात किया गया था। पिछले साल भारत में 23 लाख टन लाल मिर्च का उत्पादन हुआ था। भारतीय लाल मिर्च का निर्यात यूरोपीय देशों, अमेरिका और जापान के अलावा दक्षिण एशियाई देशों को किया जाता है।