नई दिल्ली। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विमान सेवा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे मांग बढ़ने के बावजूद किराया बहुत ज्यादा न बढ़ायें। नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार सुबह नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला को निर्देश दिया था कि वे वित्तीय संकट से गुजर रही निजी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज से जुड़े मुद्दों की समीक्षा करें। उनसे विशेष रूप से इस बात पर ध्यान देने के लिए कहा गया था कि बाजार में क्षमता कम होने के कारण अन्य एयरलाइंस किराया बहुत ज्यादा न बढ़ायें और यात्रियों को कम से कम परेशानी हो। डीजीसीए ने बताया कि उसने विभिन्न विमान सेवा कंपनियों के साथ आज एक बैठक की।
इसमें उनसे कहा गया कि वे अपने-अपने स्तर पर स्थिति की निगरानी करें और नियामक को इसके बारे में सूचित करें ताकि किराये यथासंभव कम रखे जा सकें। एयरलाइंस के अधिकारियों ने डीजीसीए को बताया कि उन्होंने उच्चतम किराये वाले स्लॉटों में बिक्री बंद कर दी है और यात्रियों को कम किराये वाले स्लॉटों में टिकट दे रहे हैं। डीजीसीए ने कहा है कि वह दैनिक आधार पर विभिन्न मार्गों पर किराये में आ रहे उतार-चढ़ाव पर नजर रखेगा और विमान सेवा कंपनियों के साथ मिलकर नियमित आधार पर उचित कदम उठायेगा। नियामक विशेष रूप से उन मार्गों पर किराये की निगरानी करता है जहाँ बोझ ज्यादा है या यातायात के अन्य साधन नहीं हैं या मुश्किल हैं।
कुछ महीने पहले तक रोजाना औसतन 600 उड़ानों का परिचालन करने वाली जेट एयरवेज की उड़ानों की संख्या सिमट कर मंगलवार को 41 रह गयी। बड़ी संख्या में जेट एयरवेज की उड़ानें रद्द होने से अचानक बाजार में क्षमता की किल्लत हो गयी है। नकदी की कमी और लगातार नुकसान के कारण विमान किराये पर देने वाली कंपनियों ने जेट एयरवेज से विमान वापस ले लिये हैं। कंपनी कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है। बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने के कारण ऋणदाताओं ने समाधान प्रक्रिया के तहत उसकी 75 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी है।