नई दिल्ली। मोटर यान अधिनियम के नियमों को कड़ा बनाने तथा इस संबंध में केंद्र सरकार को अधिक अधिकार देने संबंधी मोटर यान अधिनिमय विधेयक, 2019 विपक्ष के विरोध के बीच सोमवार को लोकसभा में पेश हो गया। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने इसे सदन में पेश किया। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में हर साल पाँच लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं जिनमें पाँच लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए नियमों को कड़ा बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद पिछली सरकार के पाँच साल के कार्यकाल में उनका मंत्रालय देश में सड़क दुर्घटनाओं में मात्र साढ़े तीन से चार प्रतिशत तक की कमी ला सका जो उनकी विफलता है। उन्होंने कहा कि देश में लोग स्वयं नियमों का पालन नहीं करना चाहते। उन्हें 50 या 100 रुपये के जुर्माने से डर नहीं लगता और इसलिए जुर्माना बढ़ाने की जरूरत है।
एक ही व्यक्ति के नाम पर कई लाइसेंस होते हैं। देश में 30 लाख बोगस लाइसेंस हैं। इससे पहले कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह इस विधेयक के कुछ अंशों का विरोध कर रहे हैं। इसमें केंद्र सरकार को किसी भी परमिट, योजना या लाइसेंस में बदलाव का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को पेश करने से पहले राज्यों के साथ परामर्श किया जाना चाहिये। उन्होंने वाहनों के पंजीकरण का अधिकार डीलरों को देने का भी विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि विधेयक में केंद्र सरकार को राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर नीति बनाने का अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि चूँकि सड़क परिवहन संघ सूची का विषय है इसलिए राज्यों के साथ ‘सहमति’ के बाद इस पर नीति बनाने का अधिकार दिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इससे दूर-दराज के इलाकों में सस्ती परिवहन सुविधा देने का राज्यों का अधिकार छिन जायेगा। गडकरी ने कहा कि यह कानून राज्यों पर थोपा नहीं जायेगा। जो राज्य स्वेच्छा से इसे अपनाना चाहेंगे वह इसे अपना सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को पिछली लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन राज्य सभा से पारित नहीं हो सकने के कारण नयी लोकसभा में विधेयक दुबारा लाना पड़ा। उन्होंने बताया कि पिछली बार जब यह विधेयक लाया गया था तो राजस्थान के तत्कालीन सड़क परिवहन मंत्री युनूस खान की अध्यक्षता में 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति ने इसकी समीक्षा की थी। संसद की स्थायी समिति एवं ज्वाइंट सेलेक्शन समिति के पास भी इसे भेजा गया था। इसके बावजूद यदि सदस्यों की कोई आपत्ति है तो वह उस पर विचार के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि डीलर वाहन का पंजीकरण जरूर करेंगे, लेकिन क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को वे उसका शुल्क भी देंगे। तृणमूल की महुआ मोइत्रा ने कहा कि विधेयक में लाइसेंस की नवीनीकरण की अवधि एक महीने से बढ़ाकर एक साल करने का प्रस्ताव है। इसका मतलब यह है कि लाइसेंस एक्सपायर होने के एक साल बाद तक लोगों को सड़क पर वाहन चलाने की अनुमति दी जायेगी। विधेयक में लर्निंग लाइसेंस ऑनलाइन देने, सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति एवं उनके परिजनों को तत्काल राहत के लिए बीमा नियमों में बदलाव, ट्रांसपोर्टर लाइसेंस के नवीनीकरण की अवधि तीन साल से बढ़ाकर पाँच साल करने तथा दिव्यांगों को लाइसेंस जारी करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को अधिकार दने का प्रावधान भी है।