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एनडीए सरकार की मुश्किलें बढी, पासवान की पार्टी ने दिखाए तेवर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 28 2018 9:38AM | Updated Date: Jul 28 2018 9:38AM
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नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले रामविलास पासवान की पार्टी ने भी अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में पार्टी ने बिहार में दलितों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर बीजेपी को अल्टिमेटम दे दिया है। केंद्र सरकार में मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी  ने शुक्रवार को साफ कहा कि बीजेपी को समर्थन मुद्दों पर आधारित है।
 
पार्टी ने दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ कानून में सख्त प्रावधान करने तथा 9 अगस्त तक एलजेपी के अध्यक्ष एके गोयल को पद से हटाने की मांग की है। पार्टी सांसद और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी के भीतर कई लोगों का धैर्य अब जवाब दे रहा है क्योंकि दलितों एवं आदिवासियों को लेकर चिंताएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि साल 2014 में बीजेपी और एलजेपी के बीच गठजोड़ के मूल में इन समुदायों के हितों की रक्षा करने का विषय था। 
 
चिराग बोले, चार महीने से कर रहे मांग 
चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग पिछले चार महीने से कर रही है लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि केंद्र से रएससी-एसटी ऐक्ट को फिर से संसद में बिल के तौर पर 7 अगस्त को पेश करने के लिए कहा गया है जिससे पूर्व कानून को बहाल किया जा सके। 

'9 अगस्त को ज्यादा उग्र हो सकता है प्रदर्शन' 
चिराग ने आगे कहा कि 2 अप्रैल के विरोध प्रदर्शनों की तुलना में 9 अगस्त को प्रदर्शन ज्यादा उग्र हो सकता है। हालांकि उन्होंने बीजेपी को सीधेतौर पर धमकी देने से बचते हुए कहा कि एलजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में पूरा विश्वास है क्योंकि उनकी सरकार ने दलितों के लिए काफी कुछ किया है। उन्होंने कहा, 'उन्होंने (पीएम) साफ कहा है कि एससी-एसटी ऐक्ट में कॉमा, फुल स्टॉप कुछ भी नहीं बदलेगा।' 

... तो क्या अलग हो जाएगी एलजेपी
यह पूछे जाने पर कि अगर 9 अगस्त तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तब क्या उनकी पार्टी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने पर विचार करेगी? एलजेपी नेता ने कहा कि जब समय आएगा तब हम कदम उठाएंगे। आपको बता दें कि कानून को मूल स्वरूप में बहाल करने की मांग को लेकर कई दलित संगठनों एवं आदिवासी समूहों ने 10 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। 
 
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