नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सीकर जिले की कच्ची बस्तियों में रहने वाली गरीब लड़कियों के सुखद भविष्य की कामना की और उनका हौसला बढ़ाया। रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 44 वें संस्करण में सीकर की कच्ची बस्तियों में रहने वाली उन छोटी लड़कियों का उल्लेख किया जो कचरा बीनती थी या भीख मांगती थी लेकिन अब कौशल विकास कार्यक्रम के तहत सिलाई का काम सीखकर अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने मोदी कहा, ‘राजस्थान के सीकर की कच्ची बस्तियों की हमारी गरीब बेटियों की। हमारी ये बेटियां, जो कभी कचराबीनने से लेकर घर-घर मांगने को मजबूर थीं - आज वें सिलाई का काम सीख कर गरीबों का तन ढ़कने के लिए कपड़े सिल रही हैं। यहां की बेटियां, आज अपने और अपने परिवार के कपड़ों के अलावा सामान्य से लेकर अच्छे कपड़े तक सिल रही हैं और अपना कौशल विकास भी कर रही है।'
उन्होंने कहा कि हमारी ये बेटियां आज आत्मनिर्भर बनी हैं। सम्मान के साथ अपना जीवन जी रही है और अपने-अपने परिवार के लिए एक ताकत बन गई है। मैं आशा और विश्वास से भरी हमारी इन बेटियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं। इन्होंने दिखाया है कि अगर कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो और उसके लिए आप कृतसंकल्पित हों तो तमाम मुश्किलों के बीच भी सफलता हासिल की जा सकती है।'
प्लास्टिक, पॉलीथीन का उपयोग नहीं करे
उन्होंने आम जनता से कम गुणवत्ता वाली प्लास्टिक और पॉलीथीन का इस्तेमाल नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि इसका प्रकृति, जन स्वास्थ्य और वन्य प्राणियों पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर विशेषज्ञ बनने और बात करने से कुछ नहीं होगा बल्कि प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और प्रकृति की रक्षा सहज स्वभाव और संस्कारों में होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘बारिश का मौसम आने वाला है, हम इस बार रिकॉर्ड पौधारोपण का लक्ष्य ले सकते हैं और इसमें केवल वृक्ष लगाना ही नहीं बल्कि उसके बड़े होने तक उसके रख-रखाव की व्यवस्था करना भी शामिल होना चाहिए।’प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा प्रकृति के साथ संघर्ष करना नहीं सिखाती बल्कि सदभाव और जुड़ाव पर जोर देती है। महात्मा गाँधी भी इसी समर्थक थे। भारत की ‘कॉप 21’ और ‘पेरिस समझौते’ में प्रमुख भूमिका रही है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से पूरी दुनिया को एकजुट किया तो इन सबके मूल में महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने का एक भाव है।