नई दिल्ली। लंदन में कोहिनूर हीरे की नीलामी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे कोहिनूर को वापस लाने के आदेश नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि विदेशी सरकार को उसकी प्रोपर्टी की नीलामी से नहीं रोका जा सकता। कोहिनूर को वापस लाने की याचिका पर चीफ जस्टिस जे एस खेहर खासे नाराज दिखे। वहीं, कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन से वापस लाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है।
याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि हम चकित है कि जो चीज किसी दूसरे देश की है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया जाता है। इस तरह की याचिकाएं क्यों डाली जाती हैं।
कोहिनूर को भारत लाना कोर्ट का काम नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट की ओर से कहा गया कि कोहिनूर को भारत लाना कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार इस मुद्दे को यूके सरकार के साथ मिलकर सुलझा रही है। इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक ये याचिका एक एनजीओ ने डाली है।
महारानी को दिया था तोहफा
सितंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें कहा गया कि कोहिनूर हीरा भारत का है और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने महाराजा दिलीप सिंह से जब वह नाबालिग थे, तब उनसे धोखे से जब्त कर लिया था। याचिका में कहा गया था कि इस हीरे को ब्रिटेन की महारानी को बतौर तोहफा नहीं दिया गया। इससे देश के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। कोहिनूर से संबंधित पुराने कागजात भी यही बताते हैं कि केंद्र को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय फोरम जाना चाहिए और कोहिनूर को वापस लाना चाहिए।
कई देश जताते हैं अपना दावा
इस कोहिनूर हीरे को टावर ऑफ लंदन में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। भारत के अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान भी इस बेशकीमती हीरे पर अपना दावा जताते हैं।