नई दिल्ली। बजट 2017 में सस्ती और अच्छी गुणवत्ता की दवाएं उपलब्ध कराने का वादा सरकार ने किया और अब वो इस ओर कदम बढ़ा रही है। उन कंपनियों की खैर नहीं जो दवाओं को बेचने के लिए महंगे गिफ्ट का सहारा लेते हैं।
अक्सर फार्मा कंपनियां डॉक्टर्स से मिलीभगत के जरिए महंगी दवाएं बेचती हैं। डॉक्टर कंपनियों द्वारा मिले गिफ्ट की वजह से मरीजों को जेनरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं लिख देते हैं। ऐसे में मजबूरन मरीजों को डॉक्टर द्वारा लिखी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। अब सरकार नए सिरे से फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस के लिए कोड ऑफ कंडक्ट लाने की तैयारी में है। इस कोड ऑफ कंडक्ट में कंपनियों के साथ-साथ डॉक्टरों पर भी कड़ी पेनल्टी तय की जाएगी।
लाइसेंस तक हो सकता है रद्द
डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स से मिली जानकारी के मुताबिक नया कोड ऑफ कंडक्ट, यूनिफॉर्म कोड डिपार्टमेंट ऑफ फॉर्मास्युटिकल, ड्रग कंट्रोलर और नेशनल और स्टेट मेडिकल काउंसिल ने मिलकर तैयार किया है। ये कोड सिर्फ फार्मा कंपनियों पर ही नहीं बल्कि होलसेलर्स, डॉक्टर्स केमिस्ट सभी पर लागू होगा। कोड का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी इसमें किया गया है। साथ ही एमसीआई या स्टेट कांउसिल से डॉक्टरों का नाम तक हटाया जा सकता है।
5 प्रतिशत होता है गिफ्ट पर खर्च
ज्यादातर फार्मा कंपनियों रिवेन्यू की 5 प्रतिशत रकम दवाओं के प्रमोशन पर खर्च करती हैं। इसमें डॉक्टरों को दवाईयों बेचने के बदले दिए जाने वाले बड़े गिफ्ट तक शामिल हैं। इसी वजह से डॉक्टर मरीज को जेनरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं। बड़ी कंपनियां अपनी दवाओं के प्रमोशन के लिए डॉक्टरों पर लाखों रुपया खर्च कर देती हैं। ये रिवेन्यू का 20 प्रतिशत तक का हिस्सा होता है।
क्या कहता है कोड ऑफ कंडक्ट
अब कंपनियों को कोड ऑफ कंडक्ट की वजह से उनके रिसर्च प्रोग्राम पर हुए खर्चे की जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही किसी इवेंट में बुलाए गए डॉक्टरों पर कंपनियों ने कितना पैसा खर्च किया है इस बात को भी बताना होगा। जो कंपनियां सरकारी खरीद के लिए नीलामी में हिस्सा लेंगी उन्हें जेनरिक दवाएं ही लिखनी होंगी। कोड के मुताबिक डॉक्टरों पर लगने वाली पेनल्टी उनके गिफ्ट की रकम के आधार पर तय की जाएगी।
गिफ्ट की वैल्यू के हिसाब से डॉक्टरों को सजा
1 हजार से पांच हजार रुपये तक के गिफ्ट पर डॉक्टरों को सेंसर किया जाएगा।
5 से 10 हजार तक के गिफ्ट पर जुर्माना या स्टेट कांउसिल से 3 महीने का रिमूवल।
10 से 50 हजार तक 6 महीने का रिमूवल।
50 हजार से 1 लाख तक 1 साल का रिमूवल।
1 लाख से ज्यादा पर कैश के बराबर जुर्माना और एक साल से ज्यादा समय तक रिमूवल हो सकता है।