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चीन के साथ उसी तेवर से बात करे सरकार जैसे पाकिस्तान से करती है : रंजन चौधरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 5 2019 12:39AM | Updated Date: Dec 5 2019 12:40AM
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने चीन को पाकिस्तान और उसकी आतंकवाद को पालने पोसने की नीति का संरक्षक करार दिया है और सरकार से मांग की है कि वह उसके साथ वैसे ही तीखे तेवरों के साथ बात करे जैसे तेवर से पाकिस्तान से बात की जाती है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान केवल चीन की मदद से ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फैला रहा है और आतंकवादियों को पालने-पोसने का काम कर रहा है। चीन पाकिस्तान को पालने-पोसने का काम कर रहा है जबकि भारत सरकार पाकिस्तान के साथ जिस आक्रामक रुख से बात करती है, उसी आक्रामकता से वह चीन से बात नहीं कर पाती है। चीन के साथ बातचीत में हमेशा एक प्रकार का संतुलन बनाने की कोशिश की जाती है।

चौधरी ने कहा कि उन्होंने लोकसभा में आज अरुणाचल प्रदेश में चीनी फौज की घुसपैठ का मुद्दा उठाना चाहा था और रक्षा मंत्री से जवाब की अपेक्षा की थी। इस मुद्दे को भाजपा के सांसद तापिर गाव ने पहले उठाया था। चीन की सेना 40 से 50 किलोमीटर भारत की भूमि में घुस आयी लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब या वक्तव्य तक नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन का रुख हमेशा से आक्रामक ही रहा है। हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या रक्षा मंत्री अरुणाचल प्रदेश जाते हैं तो चीन के मीडिया में विरोध प्रकट करने वाले बयान आते हैं और वह उसे दक्षिण तिब्बत बताकर अपना अधिकार जताते हैं। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि पाकिस्तान के बुरे इरादों का हमने और हमारी बहादुर सेनाओं ने समुचित जवाब दिया है। पाकिस्तान के नापाक मंसूबे नाकाम किये हैं। पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को देख कर यूरोप और अमेरिका ने भी उसका साथ छोड़ दिया है लेकिन चीन उसे समर्थन दे रहा है। चीन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कराकोरम राजमार्ग और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बना दिया है जिसका हम शुरू से विरोध कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को हटाये जाने पर चीन ने इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने का प्रयास किया। अगर चीन का समर्थन नहीं होता तो पाकिस्तान अलग थलग पड़ जाता है और उसे आतंकवाद की नीति को छोड़ना पड़ता। चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वुहान गये और फिर मामल्लापुरम में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ ऐसे विषयों पर कोई चर्चा नहीं होती है। इसी से चीन की सेना डोकलाम तक पहुंच गयी थी। 

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