नई दिल्ली। मानवाधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि बंधुआ और विस्थापित मजदूरों की समस्या की जड़ कृषि संकट में है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बारे में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कदम उठाने का अनुरोध करना चाहिए। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा बंधुआ तथा विस्थापित मजदूरों की समस्याओं पर चर्चा के लिए बुलाये गये खुले सत्र में विशेषज्ञों ने कहा कि देश में कृषि संकट और किसानों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाना चाहिए क्योंकि यही बंधुआ तथा विस्थापित मजदूरों की समस्याओं की जड़ है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस बारे में पत्र लिखना चाहिए जिससे कि इस मुद्दे को भी स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर प्राथमिकता मिल सके।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बंधुआ मजदूरों के बारे में विभिन्न स्रोतों और विशेष रूप से गैर सरकारी संगठनों से आंकडे जुटाये जायें और उन्हें राष्ट्रीय पोर्टल पर डाला जाये जिससे कि समस्या का गंभीरता से मूल्यांकन किया जा सके। बंधुआ मजदूरों से संबंधित सभी योजनाओं और दिशा निर्देशों को भी इस वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए जिससे जागरूकता पैदा की जा सके। छुडाये गये मजदूरों को रोजगार कार्ड देने के लिए प्रणाली बनायी जाये जिससे कि उन्हें मनरेगा के तहत काम मिल सके। राजनीतिक दलों , नेताओं और पंचायतों को इनकी समस्याओं से अवगत कराकर इनके प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। खुला मंच में हिस्सा लेने वाले विशेषज्ञों में मानवाधिकार आयोगों के अधिकारी, विशेष प्रतिनिधि, सरकारी प्रतिनिधि, नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कुछ बंधुआ तथा विस्थापित मजदूर भी शामिल थे।