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जूस-चाय की टपरी लगाने वाले भरत की बेटी बनेगी इंजीनियर, क्रैक किया जेईई मेन्स

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 4 2024 6:18PM | Updated Date: May 4 2024 6:18PM
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कोटा। कहते हैं कोटा की हवा में पढ़ाई है, यहां का माहौल पढ़ने के लिए प्रेरित करता है और आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देता है। इस बार कहानी है ऐसे पिता की जो परिवार पालने के लिए कोटा के रोड नं।1 पर रिलायबल इंस्टीट्यूट के सामने जूस की टपरी लगाते हैं। रिलायबल कोचिंग टीचर्स को बेटी के बारे में बताया था तो उन्होंने बेटी को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली। यहां इंस्टीट्यूट के शिवशक्ति सर ने फीस में रियायत की और उसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बेटी ने मेहनत की, पहले चांस में 12वीं के साथ जेईई मेन्स पास करके जेईई एडवांस्ड के लिए क्वालीफाई कर लिया।

बेटी करीना ने जेईई मेन्स में एससी कैटेगरी रैंक 43367 प्राप्त की है। ओवरआल रैंक 586985 है और एनटीए स्कोर 61।0211990 है। करीना ने 10वीं में 77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। पिता भरत कुमार और चाचा करण कुमार दोनों एक साथ किराये पर रहते हैं। करीना के पिता भरत कुमार की सुनने की क्षमता 10 प्रतिशत है, इसलिए भाई के साथ मिलकर टपरी लगाते हैं।

परिवार छत्तीसगढ़ में रहता है, घर भी कच्चा है। हालांकि उसका कुछ हिस्सा केन्द्र सरकार की योजना के तहत पक्का हो पाया है। पिता भरत कुमार चौथी पास हैं और मां गंगा 12वीं पास हैं। कोटा आने की कहानी रोजगार की खोज में शुरू हुई। दोनों भाई दिल्ली में निर्माण कार्य में मजदूरी करते थे। भरत कुमार मिस्त्री थे तो भाई करण फोरमैन थे। कोटा में यहां रोड नं।1 पर ही एक मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट बनना था, तो निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनी ने इन्हें कोटा भेज दिया। रोजगार के लिए कोटा आ गए। यहां काम किया, जो पैसा बचता था, उसे छत्तीसगढ़ भेज देते थे। इसी से परिवार चलता था। 

इधर तो काम पूरा होने लगा और उधर कोविड की काली छाया पड़ गई। बेरोजगारी के हालात हो गए। दोनों भाई कोटा में ही अटक गए। यहां उस समय कोचिंग संस्थानों और समाजसेवियों ने मदद की, जिससे दो वक्त का खाना मिल सका। सारी जमा पूंजी खर्च हो गई। खाने के लिए भी पैकेट देने आने वालों का इंतजार करना पड़ता था। जैसे-तैसे समय निकला। बच्चे व परिवार छत्तीसगढ़ में ही थे। 

जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो रोजगार का संकट सामने आ गया। प्रोजेक्ट बंद थे, रोजगार का प्रबंध नहीं हुआ तो दोनों भाइयों ने कोटा में रोड साइड पर बच्चों के लिए चाय-पानी और जूस का काम करना शुरू कर दिया। उधर, छत्तीसगढ़ में बेटी ने 2022 में दसवीं कक्षा अच्छे नंबर से पास की। कोटा में रहकर शिक्षा का महत्व समझ चुके पिता और चाचा ने बेटी को कोटा बुलाकर यहां पढ़ाने का निर्णय लिया ताकि वो अपना भविष्य बना सके। इस तरह करीना का कोटा आना तय हुआ। 

फिलहाल कोटा में जिस मल्टीस्टोरी को बनाया था, उनके मालिकों ने स्थिति देखकर उसी बिल्डिंग में एक फ्लैट रियायत पर किराये पर दिया हुआ है। दो कमरों में दोनों भाईयों का परिवार रहता है। घर में सुविधा के नाम पर खाना बनाने के लिए गैस है। दोनों भाइयों के चेहरों पर आज खुशी है कि करीना का रिजल्ट आया है और वो जेईई मेन्स में सफल हुई है, अब एडवांस्ड की तैयारी कर रही है। 

करीना के चाचा करण कुमार ने बताया कि कोटा हमारे हर कदम पर साथ रहा है। दिल्ली से यहां आए थे तो पता नहीं था कि जीवन का इतना समय यहां बीतेगा। यहां काम करना शुरू किया, लोगों से मेल-मिलाप बढ़ा तो कोविड में उनका अपनापन नजर आया। हमें लॉकडाउन के दौरान पूरा सहयोग मिला। इसके बाद लगा कि कोटा में रहकर ही स्टूडेंट्स के लिए कुछ करते हैं तो टपरी लगाकर काम करना शुरू कर दिया। यहां पूरे देश से आकर स्टूडेंट करियर बनाते हैं। करीना पढ़ाई में अच्छी थी तो सोचा कि उसको भी कोटा बुला लें। परिवार में चर्चा की और साल 2023 में करीना को कोटा बुलाया। मेरी टपरी के सामने ही रिलॉयबल इंस्टीट्यूट संचालित हैं। वहां के मेंटोर शिवशक्ति सर ने हमारी स्थिति देखकर दोनों साल की फीस में रियायत दी। 

करीना ने बताया कि मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि कोटा जाकर जेईई की तैयारी कर सकूंगी। कोटा में पापा-चाचा आए तो उन्हें लगा कि मुझे यहां आना चाहिए और कोटा के बारे में जितना सुना था, उससे भी अच्छा शहर है। रिलायबल में मुझे पूरा सपोर्ट मिला। पढ़ने का इतना अच्छा माहौल मिला कि मैं अपना सपना साकार करने की तरफ बढ़ रही हूं। अभी तो एडवांस्ड पास करने की तैयारी कर रही हूं। आईआईटी से बीटेक करना चाहती हूं।

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