मुंबई। अलहदा फिल्म निर्माण शैली के फिल्मकार अनुराग कश्यप की फिल्म निर्माण प्रक्रिया एक जैसी ही रही है, वह फिल्म निर्माण ‘आंख मूंदकर’ शुरू कर देते हैं और अनिश्चितता के बीच आगे बढ़ते हुए अपनी फिल्म को तलाशते हैं। कश्यप ने कहा कि उन्होंने अपनी फिल्म के निर्माण के दौरान ही उसे तलाशने की कोशिश की है। बेहतरीन फिल्मकार अपनी फिल्म को लेकर अनिश्चित रहते हैं। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘मेरे ऐसे कई फिल्मकार दोस्त हैं जो शूटिंग की शुरूआत से पहले ही अपनी फिल्म का खाका तैयार कर लेते हैं।
केवल उसे अमली जामा पहनाने के लिए शूटिंग करते हैं। मेरे लिए शूटिंग मेरी फिल्म, मेरी आवाज, कलात्मकता को तलाशने की प्रक्रिया है जिसे मैं कहने की कोशिश करता हूं।’’ अनुराग ‘गैंग आफ वासेपुर’ सीरिज की फिल्में, ‘गुलाल’, ‘देव डी’ जैसी कई पुरस्कार विजेता के फिल्मों के निर्देशक रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जब भी काम की पूर्णता का अहसास होता है, वह अगला काम शुरू कर देते हैं। वह हमेशा आंख मूंदकर काम शुरू करते हैं। केवल फिल्म ‘बांबे वेलवेट’ को उन्होंने पूरी तैयारी के साथ शुरू किया था।