वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया के रूप में मनाई जाती है।स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। उन्हीं के प्रताप से कालांतर में यह तिथि अक्षय तृतीया कहलायी।
परशुराम जी को भारतीय दर्शन में सप्त चिरंजीवियों में से एक माना गया है।
इस वर्ष अंग्रेजी तारीख अनुसार 7 मई 2019 दिन मंगलवार को सूर्योदय से लेकर अगले दिन प्रातः काल 2:17 तक तृतीया तिथि व्याप्त रहेगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से प्रारंभ होकर सायंकाल 4:07 तक रहेगा तत्पश्चात मृगशिरा नक्षत्र का प्रवेश हो जाएगा। शुभ कार्यों के लिए रोहिणी नक्षत्र का अक्षय तृतीया के दिन समावेश होना शुभ माना गया है।
अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन स्थाई महत्व के कार्यों के लिये स्थिर लग्न वृषभ प्रातः काल 5:49 से लेकर 7:46 तक संचरण करेगी।
दूसरी स्थिर लग्न सिंह दोपहर 12:17 से लेकर 2:30 तक संचरण करेगी। स्थाई महत्व के कार्यों को प्रारंभ करने के लिए अक्षय तृतीया का यह सर्वाधिक प्रशस्त मुहूर्त है क्योंकि इसमें अभिजीत का भी समावेश है।
लाभ अमृत चौघड़िया की संयुक्त बेला प्रातः 8:38 से लेकर दोपहर 1:34 तक रहेगी।
शुभ नामक चौघड़िया की बेला दोपहर 3:12 से लेकर 4:51 तक प्राप्त हो रही है।
अक्षय तृतीया में पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त गोधूलि बेला माना गया है ऐसी शास्त्र सम्मती है। आज सायं कालीन तृतीया तिथि में गोधूलि बेला सायंकाल 6:30 से लेकर 8:40 तक व्याप्त रहेगी। इसी प्रदोष बेला में भगवान परशुराम का विष्णु अवतार हुआ था। उपरोक्त दिए हुए मुहूर्त पूजन एवं स्थाई महत्व के कार्यों के अलावा खरीदारी के लिए भी उपयुक्त रहेंगे।
स्वयंसिद्ध अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया की एक ज्योतिषीय विशेषता भी है कि इस दिन दोनों प्रकाशमान ग्रह सूर्य तथा चंद अपनी उच्च राशियों में रहते हैं जिस कारण यह दिन एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त बन जाता है।मुहूर्त ज्योतिष के प्रसिद्द साढ़े तीन मुहूर्तों मे से एक माने जाने वाली अक्षय तृतीया प्रमुख अबूझ मुहूर्त है, जिसमें पंचांग शुद्धि करने की तथा ग्रहों का बल देखने की आवश्यकता नहीं होती। ज्योतिष की माने तो संपूर्ण वर्ष में किसी भी तिथि का क्षय हो सकता है, किन्तु वैशाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया का कभी क्षय नहीं होता। अर्थात यह तिथि पूर्णता के साथ आती है।