नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को बड़ा झटका लगा है। कारण, प्रचंड संसद में विश्वास मत हार गए हैं। 19 महीने सत्ता में रहने के बाद अब उन्हें पद छोड़ना पड़ा। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री के।पी शर्मा की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल द्वारा प्रचंड की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उनको विश्वास मत हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। सीपीएन-यूएमएल द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण प्रचंड के पास विकल्प सीमित हो गए थे, जिसके कारण उन्हें तुरंत पद छोड़ने या एक महीने के भीतर विश्वास मत का सामना करने के बीच चयन करना पड़ा। शुक्रवार को संसद में विश्वास मत परीक्षण हुआ, जहां वह हार गए।
यह पांचवां मौका था जब पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने संसद में अविश्वास मत का सामना किया। इससे पहले चार प्रयासों में वह विश्वास मत हासिल करने में सफल रहे थे। दहल के सबसे बड़े गठबंधन सहयोगी सीपीएन-यूएमएल ने 3 जुलाई को अपना समर्थन वापस ले लिया था। 25 दिसंबर, 2022 को पीएम बनने के बाद दहल लगातार अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। और करीब 19 महीने बाद उनकी सरकार गिर गई। 69 वर्षीय प्रचंड को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (HoR) में 63 वोट मिले। प्रस्ताव के खिलाफ 194 वोट पड़े। विश्वास मत जीतने के लिए कम से कम 138 वोटों की जरूरत होती है।
बता दें कि नेपाल के निचले सदन की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता का साझा समझौता करने के बाद केपी शर्मा ओली की पार्टी ने मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन से खुद को बाहर कर लिया। इस स्थिति में प्रचंड की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के पास महज 32 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं और नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं। नेका और सीपीएन-यूएमएल गठबंधन के पास अब 167 सीटों की ताकत है।
275 सदस्यीय प्रतिनिधि वाले नेपाल के निचले सदन में सरकार का गठन के लिए 138 सदस्यों की जरूरत होती है, जबकि नेका और सीपीएन-यूएमएल गठबंधन के पास 167 सदस्यों की ताकत है जो कि निचले सदन में बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा है। जिससे उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि देउबा और ओली की सत्ता में वापसी हो सकती है। नेका और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए समझौते के मुताबिक ओली और देऊबा बारी-बारी से तीन साल तक पीएम पद संभालेंगे। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले ही ओली को अगले प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दे दिया है।