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मक्का में भीषण गर्मी से 90 भारतीय हज यात्रियों की मौत… क्या भारत आएगी डेडबॉडी?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 20 2024 4:11PM | Updated Date: Jun 20 2024 4:11PM
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सऊदी अरब के मक्का में हज यात्रियों की मौत का आंकड़ा 600 पार पहुंच गया है। मरने वालों में 90 भारतीय भी हैं। सबसे ज्यादा मौत का आंकड़ा मिस्र के जायरीनों का है। मक्का में मिस्र के 300 से ज्यादा और जॉर्डन के 60 हज यात्रियों की मौत हुई है। मौत की वजह गर्मी बताई गई है। यहां का तापमान 52 डिग्री तक पहुंचने के बाद ये हालात बने। हालांकि, बिना रजिस्ट्रेशन किए वहां हज यात्रियों का पहुंचना भी हालात बिगड़ने की एक बड़ी वजह बताई गई है।

अब सवाल है कि क्या मक्का में भारतीय हज यात्रियों की मौत के बाद उनकी डेडबॉडी को भारत लाया जाएगा? मक्का में कैसे पुष्टि की जाती है कि मरने वाला हज यात्री किस देश का निवासी है? इस सवाल का जवाब देते हुए दिल्ली हज कमेटी की चेयरमैन कौसर जहां ने TV9 को बताया , मक्का में जिन भारतीय हज यात्रियों का देहांत हुआ है, उन्हें भारत नहीं लाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार वहीं होगा। इस पूरी प्रक्रिया के लिए उनके साथ गए परिजनों से कंसेंट फॉर्म भरवाया जाएगा। इसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होगी।

बॉडी को भारत क्यों नहीं लाया जाएगा, इस सवाल के जवाब में वह कहती हैं, मक्का सबसे पवित्र स्थान है। मुस्लिम समाज के बीच मक्का और मदीना को लेकर ये मान्यता है कि यहां की मिट्टी में दफन होना उनके लिए सौभाग्य जैसा है। कई लोग जब हज पर जाते हैं तो इस बात की ख्वाहिश भी करते हैं कि अगर मौत आए तो इस यात्रा के दौरान आ जाए, ताकि मौत के बाद उनकी आत्मा को शांति मिले।

दिल्ली हज कमेटी के डिप्टी एक्जीक्यूटिव ऑफिसर मोहसिन अली कहते हैं, हज यात्री के देहांत के बाद उनके साथ गए परिजन को मक्का में ही डेड सर्टिफिकेट दे दिया जाता है। जहां तक हज यात्रियों के देहांत के बाद वहां उनके परिजनों के पहुंचने की बात है तो हज कमेटी की तरफ से उन्हें वहां भेजे जाने का कोई प्रावधान नहीं होता। यह उनका निजी फैसला होता है। इसके लिए उन्हें खुद व्यवस्था करनी होगी।

मोहसिन अली कहते हैं, हज यात्रियों के पास अपने देश के कार्ड होते हैं। सऊदी अरब की तरफ से उन्हें कार्ड जारी किए जाते हैं, जिसे यात्रा के दौरान वो गले में पहने रहते हैं। इसके अलावा उन्हें एक ब्रेसलेट (कड़ा) दिया जाता है, जिसे वो हाथ में पहनते हैं। इसमें उनसे जुड़ी जानकारी होती है। किसी भी आपातस्थिति में उनके कार्ड या ब्रेसलेट से उनका नाम और देश की जानकारी मिल जाती है। पवित्र स्थल पर 90 के दशक में आगजनी के हादसे के बाद से कड़े यानी ब्रेसलेट दिए जाने लगे ताकि इमरजेंसी के हालात में उनकी पहचान करना आसान हो जाए। इसमें हज यात्री के देश का नाम और रेफरेंस नम्बर दर्ज होता है।

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