नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिल्कयारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को कल यानी मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। सभी 41 मजदूर पिछले 17 दिनों से सुरंग में फंसे हुए थे। मजदूरों के सफल रेस्क्यू में इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर ऑरनॉल्ड डिक्स ने अहम भूमिका निभाई। डिक्स ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले हैं।
टनल में फंसे सभी मजदूरों को मंगलवार देर रात पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाला गया। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन की तारीफ की जा रही है। रेस्क्यू में अहम भूमिका निभाने वाले डिक्स के देश यानी ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी इस खबर को प्रमुखता से जगह दी है।
ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्रॉनिकल' ने इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हेडिंग दी है- 'फादर क्रिसमस इन द टनलः ऑस्ट्रियाई रेस्क्यूर बने नायक।' वेबसाइट ने आगे लिखा है, "दो सप्ताह से ज्यादा समय से एक सुरंग में फंसे रहे 41 भारतीय मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। इस ऑपरेशन को लीड करने वाले मेलबर्न के सुरंग विशेषज्ञ ऑरनॉल्ड डिक्स को इसका हीरो माना जा रहा है।" प्रोफेसर ऑरनॉल्ड डिक्स ऑस्ट्रेलियाई शहर मेलबर्न के रहने वाले हैं। उत्तरकाशी में टनल ढह जाने के बाद बचाव अभियान का नेतृत्व करने के लिए प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स को भारत बुलाया गया था।
अखबार 'द संडे मॉर्निंग हेराल्ड' ने इस सफल ऑपरेशन को लेकर हेडिंग दी है- 'भारत में 17 दिन से टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाला गया।' समाचार एजेंसी एपी के हवाले से अखबार ने आगे लिखा है, "उत्तरी भारत की एक टनल में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार को बाहर निकाल लिया गया। पहाड़ी इलाका होने के कारण शुक्रवार को हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग करते समय मशीन में खराबी आ गई थी, जिसके बाद बचावकर्मियों ने मैन्युअल खुदाई की। इसी के साथ कई दिनों से जारी बचाव अभियान का सुखद अंत हुआ।"
ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द ऑस्ट्रेलियन' इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हेडिंग दी है- 'टनल में फंसे मजदूरों को 17 दिन बाद निकाला गया।' अखबार ने आगे लिखा है, ''हिमालय पर्वत के बीचों-बीच 17 दिनों तक जेल जैसी जगह में फंसे रहने के बाद मंगलवार को सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। मजदूरों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। सभी मजदूर सुरंग के ढह जाने के बाद टनल में फंस गए थे। 17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सभी मजदूरों को एक मीटर चौड़े पाइप के माध्यम से एक-एक करके सभी को टनल ले बाहर निकाला गया।''
एक और ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द टेलीग्राफ' ने इस सफल ऑपरेशन को लेकर हेडिंग दी है- 'सभी 41 मजदूरों को 17 दिनों के बाद टनल से बाहर निकाला गया' अखबार ने आगे लिखा है, ''उत्तरी हिमालय क्षेत्र में एक ध्वस्त सुरंग में फंसे सभी 41 भारतीय मजदूरों को 17 दिनों के बाद सुरक्षित बचा लिया गया है। इस पूरे बचाव अभियान में रैट-माइनर्स की कुशलता भी देखने को मिली, जिन्होंने ड्रिलिंग मशीन में खराबी आने के बाद हाथ से अंतिम 12 मीटर की खुदाई की। सभी मजदूर पाइप के माध्यम से रेंगते हुए टनल से बाहर निकले। इस बचाव अभियान को देखने के लिए पूरे भारत में लोग अपने-अपने टेलीविजन से चिपके हुए थे।"
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया 'द डेली मेल' ने इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हैडिंग दी है- 'एक पखवाड़े से अधिक समय से सुरंग में फंसे 41 लोगों की ऑस्ट्रेलियाई हीरो ने बचाई जान' अखबार ने आगे लिखा है, '17 दिनों से टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, जिससे भारत के साथ-साथ दुनिया भर में खुशी का माहौल है। एक पखवाड़े से ज्यादा समय तक टनल में फंसे रहने के बाद दर्जनों भारतीय मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई सुरंग विशेषज्ञ को अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में देखा जा रहा है।ऑस्ट्रेलियाई सुरंग विशेषज्ञ प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स इस रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड करने के लिए मेलबर्न से भारत गए थे। सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बचाव दल में शामिल लोग और सुरंग में फंसे मजदूरों के परिवार ने उनका स्वागत किया।
अखबार ने आगे यह भी बताया है कि प्रोफेसर डिक्स ने इस ऑपरेशन को कैसे सफलतापूर्वक समाप्त किया। ऑस्ट्रेलियाई टेलीविजन पत्रकार नताली बर्र और मैट शिरविंगटन के हवाले से अखबार ने लिखा है कि डिक्स ने कहा था, 'सभी मजदूर सुरक्षित घर आ रहे हैं और किसी को भी किसी तरह की चोट नहीं पहुंचेगी। लेकिन मेरा मन कह रहा था, वास्तव मे अर्नोल्ड ऐसा करने जा रहा है?'
प्रोफेसर डिक्स ने आगे कहा कि लेकिन उन्हें लगता था कि बचाव दल इस रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल करने में सक्षम होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह एक चमत्कार ही है कि सभी मजदूरों को जीवित निकाल लिया गया। यह सब एक विशाल बचाव दल की बदौलत ही संभव हो पाया है।
अर्नोल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। साथ ही वह इंजीनियर, वकील, जियोलॉजिस्ट भी हैं। उन्होंने मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी से साइंस और लॉ में डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपने तीन दशकों के करियर में कई भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने 2016 से 2019 तक कतर रेड क्रेसेंट सोसाइटी के लिए वॉलिटेयर के तौर पर भी काम किया है। यहां भी उन्होंने इसी तरह की अंडरग्राउंड घटनाओं पर काम किया है। 2020 में डिक्स लॉर्ड रॉबर्ट मेयर पीटीर विकरी क्यूसी कंपनी से जुड़े। वह यहां तकनीकी और रेगुलेटरी सलाह देते हैं