मध्य प्रदेश में सभी बीजेपी के विधायक व सांसद दशहरे के दिन यानी 12 अक्टूबर को शस्त्र की पूजा करेंगे। ये फैसला मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लिया है। मोहन यादव ने एक सभा के दौरान सभी को यह निर्देश देते हुए कहा कि चाहे पुलिस लाइन हो शस्त्रागार हो या हो थाना सभी शस्त्र पूजन करेंगे। सीएम ने आगे कहा कि हजारों साल से भारत की परंपरा रही है, हाथों में शस्त्र और शास्त्र दोनों होना चाहिए। इसलिए हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि दशहरे में धूमधाम से शस्त्र पूजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी को निर्देश दिया कि चाहे मंत्री हो, विधायक हो या फिर सांसद हो, पुलिस लाइन हो शस्त्रागार हो या हो थाना सभी दशहरे के दिन शस्त्र पूजन करेंगे। सीएम ने आगे बताया कि हाथों में शस्त्र और शास्त्र (धर्म) को मानने वाली देवी अहिल्याबाई की राजधानी महेश्वर में वह खुद दशहरे को शस्त्र पूजन करेंगे। भाजपा सरकार की मंशा है कि शस्त्र पूजा के जरिए समाज में सुरक्षा और सामर्थ्य का संदेश दिया जाए।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने अहिल्याबाई के 300वीं जयंती पर पूरे प्रदेश के हर जिला मुख्यालयों पर मंत्री,सांसद और विधायक शस्त्र पूजन करने को कहा है। सीएम ने आगे कहा कि एक हाथ में शस्त्र दूसरे में शास्त्र लेकर अहिल्या देवी होल्कर ने 1767 से 1795 तक 28 वर्षों तक शासन किया। साथ ही स्वयं स्वर्ण जड़ित तलवार लेकर रामपुरा, गोहद, महेश्वर युध्द के समय सेना का संचालन किया।
जानकारी दें दि कि साल 1767 में, रघुनाथराव पेशवा ने होल्कर के राज्य को निगलने की कोशिश की, इस बार अहिल्या देवी ने रघुनाथराव से लड़ने के लिए महिलाओं की एक सशस्त्र सेना बनाई थी। महिलाओं की सेना का सेनापति के रूप में वह नेतृत्व करती थीं। संकट के समय कभी भी लड़ाई को देखते हुए महिला के साथ युद्ध के मैदान में शत्रु के साथ लड़ने के लिए सदैव तैयार होती थीं। अहिल्या देवी होल्कर को सूबेदार मल्हारराव होल्कर द्वारा सैन्य संचालन और शस्त्र निर्माण की ट्रेनिंग दी गई थी। उन्होंने समय-समय पर इस ज्ञान का प्रयोग किया। अहिल्या देवी एक तरफ शस्त्र और दूसरी तरफ शास्त्र रखकर निर्णय लेती थीं, साथ ही उन्हें तोप संचालन का भी ज्ञान था। रानी अहिल्याबाई का राज दरबार जिसे राज गांधी कहते थे, महेश्वर से ही 28 सालों तक उन्होंने मध्य भारत मालवा निमाड़ पर राज किया।
1767 से लेकर 1795 तक के रानी अहिल्याबाई के शासन में उन्होंने देशभर के तीर्थ स्थलों में बनवाई 65 मंदिर धर्मशाला में सड़क तालाब नदियों के भव्य घाट बनवाए। उन्होंने बनारस का मणिकर्णिका गंगा घाट, सोमनाथ का शिव मंदिर,उज्जैन नासिक, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी, अयोध्या, हरिद्वार, द्वारका, गया, बद्रीनारायण और सोमनाथ जैसे प्रसिद्ध तीर्थ पर मंदिर बनवाये थे।
जानकारी दे दें कि अहिल्याबाई के दौर की किले में आज भी 20 से ज्यादा तलवार संरक्षित और सुरक्षित रखी है, जो दो फुट से ज्यादा लंबी हैं, साथ ही बड़ी ढाल, तोप के गोले, किले के छेद में रखी जाने वाली 10 फुट से लंबी बंदूकें, पालकी भी हैं। बता दें कि इस जगह स्वंय सीएम कल मौजूद रहेंगे। उनकी दो तलवारें जिसका पूजन कल होलकर वंश के राजा खुद करेंगे। यहीं, मंच से मोहन यादव तमाम आदिवासी शास्त्रों के साथ पारंपरिक शास्त्रों की पूजा करेंगे, जिसमें आदिवासी धनुष बाण तीर कमान कुल्हाड़ी टांगिया भाले शामिल होंगे।