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खरहरी में नहीं जलती होलिका और ना ही ग्रामीण मनाते हैं होली

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 21 2019 3:27AM | Updated Date: Mar 21 2019 3:27AM
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कोरबा। जिले के ग्राम पंचायत पुरेना के आश्रित ग्राम खरहरी में कई दशकों से ना होलिका जली है और ना ही यहां के ग्रामीण रंगो का पर्व होली मनाते हैं। वे इसके पीछे कारण दैवीय प्रकोप को मानते हैं। गांव में होली नहीं मनाना एक परंपरा बनकर चली आ रही है। इस वजह से खरहरी की नवविवाहिताएं मायके में जाकर होली मनाती हैं। इस अनोखी परंपरा को आज भी कायम रखने के चलते दीवारों पर भी कभी रंग नहीं पड़े। पिछले कई दशकों (सौ वर्षो से अधिक) से खरहरी में ग्रामीण होली नहीं खेलते।
 
155 साल से होली पर्व पर यहां उत्साह नहीं देखा जाता। ग्रामीणों के मुताबिक पूर्वजों से अपशगुन की कहानी सुनना बता रहे हैं। एक ग्रामीण ने बताया कि कई साल पहले जब उनके पूर्वजों द्वारा होलिका दहन गांव में किया जा रहा था। ठीक उसी समय उनके घर भी जलने लगे। ग्रामीण घरों में लगी आग को किसी दैवीय प्रकोप का नतीजा मान बैठे। यही कारण है कि तब से लेकर आज तक पूरे गांव में होली के दिन सन्नाटा पसर जाता है। इस घटना के बाद से ग्रामीण दहशत में आए और कभी होली न खेलने का प्रण ले लिया। गांव के करीब ही आदिशक्ति मां मड़वारानी का मंदिर स्थित है।
 
एक ग्रामीण के अनुसार देवी ने स्वप्न दिया था कि उनके गांव के लोग होली न मनाए और उसी को दैवीय भविष्यवाणी मानकर पीढ़ी दर पीढ़ी होली का पर्व न मनाने का यहां के ग्रामीणों ने फैसला कर लिया। समाज में होली पर्व पर चली आ रही परंपरा का पालन करने में बच्चे भी पिछे नहीं है। बच्चे भी अपने बुजुर्गों के बताए बातों का पालन करते है और गांव में होली नहीं खेलते हैं। एक-दूसरे के घरों में जाकर शुभकामनाएं देने तक ही सीमित रहते हैं। कई युवा दूसरे गांव में जाकर होली मनाते हैं। इस बात का ख्याल रखा जाता है कि गांव में कहीं से भी रंग ना गिरे। 
 
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