इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हो रही पानी की बर्बादी के मामले पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यहां की कई बड़ी कंपनियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नोटिस के जरिए कंपनियों को सीईओ को रविवार तक कोर्ट में पेश होने को कहा है। कोर्ट का यह आदेश देश में जल संसाधन के दोहन से जुड़े एक मामले के संबंध में दिया गया है। चीफ जस्टिस मियां साकिब निसार ने पानी की बर्बादी पर कहा कि वह खुद नल का पानी पीते हैं। चीफ जस्टिस ने मामले में संबंधित विभाग से पूछा कि कंपनी कितने पानी का इस्तेमाल कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की लाहौर रजिस्ट्री में सुनवाई करते हुए जस्टिस निसार ने कहा कि कोर्ट यह देखेगा कि मिनरल वॉटर वाकई मिनरल है या नहीं?
दो सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस निसार ने कहा कि पानी बेच रही कंपनियों को सरकार के साथ बैठकर दर तय करनी चाहिए। सरकार के वकील ने कोर्ट को सूचना दी कि मिनरल वॉटर कंपनियां प्रति लीटर सरकार को 25 पैसे अदा करती हैं, जबकि उन्हें 50 रुपये प्रति लीटर बेचती हैं। इस पर जस्टिस निसार ने कहा कि वह घर में नल का पानी उबाल कर पीते हैं क्योंकि उनके देश में दूसरे लोग भी ऐसे ही पानी पी रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि गरीबों को गंदे तालाब का पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। चीफ जस्टिस ने पानी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आज यह सोने से भी ज्यादा महंगा हो गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को मिनरल वॉटर पीने की आदत लग गई है और प्राकृतिक संसाधनों से पैसे बनाए जा रहे हैं। जस्टिस ने चेतावनी देते हुए कहा, 'हम किसी भी हालत में पानी की चोरी नहीं होने देंगे।'