बगदाद। यह आॅडियो संदेश करीब 55 मिनट का है। सीएनएन के मुताबिक, बगदादी आॅडियो में कह रहा है कि उसके समर्थकों की भय और भूख से परीक्षा ली जा रही है लेकिन खुशखबरी उन्हें ही मिलेगी जो सब्र के साथ इसका सामना करेंगे। यह आॅडियो मेसेज बुधवार को आईएसआई के मीडिया विंग अल-फुरकान ने जारी किया है।
हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टी नहीं की जा सकी है कि आॅडियो में जिस शख्स की आवाज है वह बगदादी ही है। यूएस सेंट्रल कमांड के प्रवक्ता कैप्टन विलियम अर्बन ने बताया, 'यूएस सेंट्रल कमांड को इस कथित आॅडियो के बारे में जानकारी है। मैं इस आॅडियो पर हमारे आंकलन को लेकर किसी तरह का बयान नहीं दूंगा। हमें नहीं पता कि इस वक्त बगदादी कहां है, लेकिन हम उसे युद्धभूमि से हटाने में रुचि रखते हैं।'
बगदादी ने रिकॉर्डिंग में पश्चिम एशिया, एशिया और अफ्रीका में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, अल्लाह की रहमत से खलीफा बना रहेगा। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह संदेश कब रिकॉर्ड किया गया लेकिन बगदादी सीरिया के उत्तर पूर्वी हिस्से के पुनर्निर्माण के लिए गत सप्ताह सऊदी अरब द्वारा 10 करोड़ डॉलर दिए जाने की आलोचना करता दिखाई दिया।
उसने अमेरिका और रूस को धमकी देते हुए कहा कि जिहादियों ने उनके लिए भयावहता की तैयारी की है। रूस और अमेरिका आईएस के खिलाफ हमलों का समर्थन करते हैं। आईएस सरगना आखिरी बार जुलाई 2014 में इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल में सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिया था। बगदादी को कई बार मृत घोषित किया गया लेकिन एक इराकी खुफिया अधिकारी ने मई में बताया कि वह अब भी जिंदा है और सीरिया में रह रहा है।
यूएस अधिकारियों को लगता है कि बगदादी जिंदा है तो उन्होंने जवाब दिया, 'हां'विलियम ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अमेरिकी सरकार के किसी भी आधिकारिक सूत्र ने बगदादी के मरने का दावा किया हो।' जब उनसे पूछा गया कि क्या यूएस अधिकारियों को लगता है कि बगदादी जिंदा है तो उन्होंने जवाब दिया, 'हां'। अगर यह आॅडियो बगदादी का ही है तो अक्टूबर 2017 में रक्का में आईएस के पतन के बाद यह उसका पहला संदेश होगा। आॅडियो में बोल रहा शख्स लगातार आईएस की हो रही हार का भी हवाला देता हुआ सुना गया।
संदेश में कहा गया है, 'एक सच्चे मुजाहिदीन के लिए जीत या हार इस बात पर निर्भर नहीं करती कि उसके कब्जे में कितने शहर हैं, उसके पास अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलें हैं या स्मार्ट बॉम्ब हैं या नहीं, या फिर उसके कितने समर्थक हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे अल्लाह पर कितना भरोसा है।'