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हिन्दी को सम्मान दिलाने के संकल्प के साथ सम्मेलन संपन्न

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 21 2018 10:58AM | Updated Date: Aug 21 2018 10:58AM
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गोस्वामी तुलसीदास नगर। हिन्दी को विश्व की अग्रणी भाषाओं में उचित सम्मान दिलाने और संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक भाषा के तौर पर स्थापित कराने के संकल्प के साथ 11वां हिन्दी विश्व सम्मेलन सोमवार को संपन्न हो गया। लगभग दो हजार हिन्दी विद्वानों के बीच स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में तीन दिनों तक चले मंथन में हिन्दी के अब तक के विश्वव्यापी सफर पर संतोष व्यक्त किया गया और उसे जन-जन की भाषा बनाने के लिए सामूहिक प्रयास निरंतर जारी रखने का संकल्प लिया गया। स
 
म्मेलन के दौरान हिन्दी के प्रसार के लिए कई अनुशंसाएं की गयीं। तकनीक के माध्यम से हिंदी के विकास को लेकर कई सुझाव आए जिसमें हिंदी से जुड़े सॉफ्टवेयर को लांच करने और इसके लिए टेक कंपनियों से बातचीत करने की अनुशंसा की गई। साथ ही हिंदी शब्दों के विस्तार के लिए सॉफ्टवेयर की मदद से 10 हजार शब्दों का आॅनलाइन शब्दकोष बनाने की अनुशंसा भी की गयी। हिन्दी  में तकनीक को बढ़ाने के उद्देश्य से शोध के लिए अधिक फंड देने की अनुशंसा की गई।
 
अमेरिका में भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए किये गये प्रयासों के अनुरूप दूसरे देशों में भी ऐसा करने की आवश्यकता पर सम्मेलन में बल दिया गया। भारतीय भाषा के लिए एक मापदंड बनाने पर भी सहमति बनी। भाषा को संस्कृति से जोड़ने के लिए सभी देशों में रामायण और रामचरित मानस के पाठन को बढ़ावा देने की सिफारिश की गयी।  प्रवासी भारतीयों के बीच भाषा के विकास के लिए युवाओं से अधिक से अधिक संवाद करने के लिए बहुआयामी प्लेटफॉर्म बनाने का भी सुझाव दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर देश-विदेश में हिन्दी से जुड़े संस्थान और पुरस्कार शुरू करने की अनुशंसा की गयी। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले फिल्मकारों को प्रोत्साहन देने पर बल दिया गया ताकि फिल्मों के माध्यम से असल भाषा सामने आ सके। साथ ही बाल साहित्य को बढ़ावा देने के लिए बाल साहित्य अकादमी बनाने और पत्रिकाओं एवं मीडिया में अधिक से अधिक बाल साहित्य को शामिल करने की अनुशंसा की गई।
 
पाणिनि भाषा प्रयोगशाला शूरू करने का विचार
भारत सरकार का मॉरीशस की तरह अपने देश के सभी राज्यों में युवा पीढ़ी में हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन के प्रति रूचि विकसित करने के उद्देश्य से पाणिनि भाषा प्रयोगशाला खोलने का विचार है।  विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज ने 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में कहा कि केन्द्र सरकार का देश के हर राज्य में पाणिनि प्रयोगशाला खोलने का विचार है ताकि युवा पीढ़ी हिन्दी, तेलगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम समेत अन्य भारतीय भाषाओं को सीख सकें। स्वराज ने कहा कि देश में भाषा-शिक्षण से सम्बन्धित नीति 'त्रिभाषा सूत्र' बनायी गयी थी जिसमें हिन्दीभाषी राज्यों में दक्षिण की कोई भाषा पढ़ाने के संबंध में संस्तुति की गयी। इसके तहत कई हिन्दीभाषी राज्यों ने दक्षिण की एक भाषा को अपने राज्य में पढ़ाने के लिए चुना भी था लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह अच्छा होगा कि हिन्दीभाषी राज्यों के लोग दक्षिण की कोई भाषा सीखें और दक्षिण भारत के लोग भी अपनी मातृभाषा के साथ अन्य भारतीय भाषाओं को सीखें। इसमें पाणिनि भाषा प्रयोगशाला काफी मददगार साबित हो सकती है।
 
हिन्दी को नहीं होने दिया जाएगा विलुप्त
समापन समारोह के मुख्य अतिथि और मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परमशिवम पिल्लै वायापुरी ने हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की सातवीं आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिलाने की मांग को तर्कसंगत बताया और कहा कि सम्मलेन ने इस उद्देश्य की प्राप्ति की इच्छा और प्रतिबद्धता को काफी मजबूत किया है। मॉरीशस के राष्ट्रीय पक्षी 'डोडो' के समान हिन्दी लुप्त नहीं होगी और संयुक्त राष्ट्र में अपना स्थान पाकर रहेगी। इसके लिए सभी को एकसाथ खड़ा होना होगा। मॉरीशस इस उद्देश्य में भारत के सहयोगी के तौर पर सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़ा होगा।
 

 

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