इस्लामाबाद। रमजान के पाक महीने में पाकिस्तान के सियालकोट में उग्र भीड़ ने अहमदी समुदाय की 100 वर्ष पुरानी मस्जिद तोड़ डाली। अधिकारियों और समुदाय के प्रवक्ता सलीमुद्दीन ने बताया कि हजारों लोगों की भीड़ बुधवार देर रात सियालकोट स्थित मस्जिद में घुस गयी और उसके गुंबद और मीनारें तोड़ डाली। उन्होंने बताया कि भीड़ और स्थानीय सरकारी अधिकारियों के बीच टकराव भी हुआ।
एक पुलिस अधिकारी असद सरफराज ने बताया कि मस्जिद परिसर में चल रहे कथित अवैध मरम्मत के काम को हटाने के लिए नगर निगम के अधिकारी मस्जिद में गये थे। इसी दौरान अचानक बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ वहां घुस आयी और मस्जिद को तोड़ने लगी। उन्होंने बताया कि हमले में 60-70 लोग शामिल थे और उनकी पहचान की कोशिश की जा रही है।
सलीमुद्दीन ने हालांकि मरम्मत के काम के अवैध होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि समुदाय ने स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेने के बाद मरम्मत का काम शुरु किया था। उन्होंने मरम्मत के आवेदन पर नगर निगम की ओर से मंजूरी मिलने संबंधी दस्तावेज की प्रति भी दिखायी। गौरतलब है कि अहमदी समुदाय के लोग स्वयं को मुसलमान मानते हैं लेकिन अन्य सभी मुस्लिम वर्गो के लोग इन्हें मुसलमान नहीं मानते। इस समुदाय का चलन 1889 में मिर्जा गुलाम अहमद ने शुरु किया था।
अहमदी समुदाय के अनुयायी गुलाम अहमद (1835-1908) को पैगम्बर मोहम्मद के बाद एक और पैगम्बर मानते हैं जबकि अन्य मुसलमानों का विश्वास है कि पैगम्बर मोहम्मद खुदा के भेजे हुए अन्तिम पैगम्बर हैं। पाकिस्तान में उन्हें खुद को मुसलमान कहने अथवा मुस्लिम चिह्नों का प्रयोग करने तक की अनुमति नहीं है।