ह्यूस्टन। भारत और अमेरिका ने एक अभूतपूर्व ऊर्जा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके अनुसार द्रवीकृत प्राकृतिक गैस के निर्यात टर्मिनल में ढाई अरब डॉलर के निवेश के बदले भारत को 40 साल तक 50 लाख टन एलएनजी प्रतिवर्ष निर्यात की जायेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अमेरिका के टेक्सास प्रांत की राजधानी में वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र की 17 बड़ी कंपनियों के सीईओ के साथ राउंड टेबल पर बातचीत की। इन कंपनियों की कुल संपत्ति दस खरब डॉलर है और इनका निवेश एवं कारोबार भारत समेत विश्व के 150 देशों में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बैठक के बाद जानकारी दी कि भारतीय पेट्रोलियम कंपनी पेट्रोनेट ने यहां अमेरिका की एलएनजी क्षेत्र की कंपनी टेलुरियन के साथ 50 लाख टन एलएनजी प्रति वर्ष आयात करने के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने बताया कि पेट्रोनेट अमेरिका की टेलुरियन कंपनी के प्रस्तावित ड्रिफ्टवुड एलएनजी निर्यात टर्मिनल में 2.5 अरब डॉलर का निवेश करेगी जिसके बदले में टेलुरियन 40 वर्षों तक 50 लाख टन एलएनजी प्रति वर्ष भारत को निर्यात करेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि इस राउंडटेबल बैठक का उद्देश्य रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी के तहत भारत में ऊर्जा क्षेत्र को और मजबूत करना था। उन्होंने कहा कि कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने मोदी सरकार द्वारा कारोबारी सुगमता तथा ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त रखने के लिए उठाये जा रहे कदमों की सरहाना की और भारत में अपने निवेश को बढ़ाने की इच्छा भी जताई। कंपनी के अधिकारियों ने सरकार द्वारा दी जा रहीं सहूलियतों और सुविधाओं के लिए आभार भी जताया।
बैठक में मौजूद कंपनियों में बीपी, एक्सॉन मोबिल, स्क्लूमबरजर, बेकर ‘जेस, विंमर इंटरनेशनल, चेनियर एनर्जी, डोमिनियन एनर्जी, आईएचएस मार्किट, टोटल, वेस्टलेक कैमिकल्स और एमर्सन इलेक्ट्रिक के शीर्ष प्रतिनिधि और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल थे। इसके अलावा भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर भी इस मौके पर मौजूद थे। मोदी अमेरिका के आठ दिन के दौरे पर हैं। उनके साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला भी यहां आये हैं। मोदी आज ह्यूस्टन में प्रवासी भारतीय समुदाय के बहुप्रतीक्षित हाउडी मोदी कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद शाम को न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो जाएंगे।