जिनेवा। भारत ने 2015-2030 की अवधि वाले आपदा जोखिम न्यूनीकरण और एशिया क्षेत्रीय योजना से संबद्ध सेंदाई समझौते के क्रियान्वयन के प्रति समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। भारत का कहना है कि देश आपदा की संभाव्यता और इससे होने वाले प्रभाव को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग से कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ पी. के. मिश्रा ने बुधवार को जिनेवा में आपदा जोखिम न्यूनीकरण, वैश्विक मंच 2019 में शिरकत करते हुए भारत की ओर से यह बात कही। इस कार्यक्रम में सेंदाई समझौते के क्रियान्वयन की दिशा में हुई प्रगति के बारे में चर्चा की जाएगी। डॉ मिश्रा ने कहा कि भारत ने केवल बड़ी आपदाओं से होने वाली मौतों को कम करने की पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है बल्कि छोटी छोटी आपदाओं जैसे लू, भीषण तूफान और वज्रपात पर भी समान रूप से ध्यान दे रहा है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आपदा के नजरिए से संवेदनशील हर क्षेत्र में नए लचीले बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता है और भारत ने आपदा रोधक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 40 से अधिक देशों के साथ बातचीत की प्रकिया शुरू की है। इस गठबंधन से विकसित तथा विकासशील देशों को ही फायदा होगा। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय निदेशक किरसी मादी ने कहा कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि हमने नेपाल और हैती के उदाहरण देखे हैं जहां इमारतों के निर्माण मानकों को नहीं अपनाया गया और इसका नतीजा यह हुआ कि भूकंप आने पर अनेक लोगों की मौत हो गयी और लाखों लोगों को बेघर होकर विस्थापित होना पड़ा।