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विकासशील देशों को प्लास्टिक अवशेष भेजने के मसले पर 187 देशों के बीच समझौता

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 11 2019 8:28PM | Updated Date: May 11 2019 8:28PM
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जेनेवा। प्लास्टिक कचरा निपटान को लेकर अमेरिका को छोड़कर विश्व के 187 देशों ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके तहत विकसित देशों को, विकासशील देशों में प्लास्टिक अवशेष भेजने से पहले वहां की सरकारों से मंजूरी लेना आवश्यक होगा। संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को घोषणा की कि दुनिया के करीब सभी देश  प्लास्टिक के ऐसे अवशेष, जिनका पुनर्चक्रण न हो सके, उन्हें  गरीब देशों में  भेजने पर  प्रतिबंध लगाने पर सहमत हुए हैं। गार्जियन अखबार के अनुसार  अमेरिका और अन्य विकसित देशों को अब निम्न कोटि अथवा पुनर्चक्रण के अयोग्य  प्लास्टिक कचरा भेजने से पहले गरीब देशों से मंजूरी लेनी होगी। वर्तमान में विकासशील  देश संबंधित सरकारों से मंजूरी लिए बिना विकासशील देशों में निजी संस्थानों को निम्न-गुणवत्ता वाले प्लास्टिक अवशेष नहीं भेज सकते हैं।

पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों का कहना है कि  चूंकि चीन ने अमेरिका से रिसाइक्लिंग प्लास्टिक स्वीकार करना बंद कर दिया है ,इसलिए  उन्होंने विकासशील देशों में प्लास्टिक कचरे की ढेर लगा दी है। इस सौदे के पीछे रहे ग्लोबल एलायंस फॉर इन्सिनरेटर  अल्टरनेटिव्स  ने कहा कि  इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया के कई गाँव एक साल के अंदर कूड़ास्थल में तब्बदील गए थे। गैया के प्रवक्ता क्लेयर अर्किन ने कहा, ‘‘हमने देखा कि  अमेरिका से भेजे गये प्लास्टिक के कूड़े  सिर्फ उन गांवों में जमा हुए थे जो कभी मुख्य रूप से कृषि प्रधान थे।’’ समुद्रों तथा जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक माने जाने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट तथा जहरीले एवं खतरनाक रसायनों पर संयुक्त राष्ट्र समर्थित सम्मेलनों की दो सप्ताह की बैठक के अंत में कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचा तैयार किया गया।

यह समझौता, बासेल सम्मेलन के संशोधन के तहत आता है। अमेरिका उस सम्मेलन का पक्षकार नहीं है जिसके कारण उसके पास वोट नहीं था। लेकिन बैठक में उपस्थित लोगों ने कहा कि अमेरिका ने बदलाव के खिलाफ तर्क देते हुए कहा है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश प्लास्टिक कचरे के व्यापार पर पड़ने वाले कुप्रभावों से अनभिज्ञ हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के रोल्फ पेनेट ने समझौते को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए कहा कि सम्मेलन के तहत स्विटजरलैंड के जेनेवा में 187 देशों ने इस पर समझौते हस्ताक्षर किये। इसके तहत देशों को अपनी सीमा से बाहर जाने वाले प्लास्टिक  कचरे की निगरानी करनी होगी। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण को ‘महामारी’ बताते हुए कहा कि इसको लेकर वार्ता 11 दिन पहले शुरू हुई थी और इसमें 1,400 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महासागरों में करीब 10 करोड़ टन  प्लास्टिक कचरा है जिन में से  80 से 90 प्रतिशत भूमि आधारित स्रोतों से आया है।

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