बीजिंग। चीन के उप प्रधानमंत्री लियू ही ने अमेरिका के साथ हालिया व्यापार वार्ता के बाद कहा है कि उन्हें चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे दबाव के बावजूद उसके सतत और स्वस्थ विकास का विश्वास है। लियू ने शुक्रवार को अमेरिका के साथ वाशिंगटन डीसी में समाप्त हुई दो दिवसीय व्यापार वार्ता के परिणाम पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि मौजूदा दबाव के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था एक सतत और स्वस्थ विकास बरकरार रखेगी।’’
अमेरिका के साथ असहमति का चीन की अर्थव्यवस्था पर प्रभावों तथा दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण अमेरिकी कटौती की आशंका पर उन्होंने कहा, ‘‘चीन भयभीत नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम मध्यावधि में चीन की अर्थव्यवस्था पर नजर डालें तो हम कह सकते हैं कि उसने पिछले वर्ष मामूली गिरावट का सामना किया था लेकिन अब एक बार फिर विकास ने रफ्तार पकड़ ली है। ऐसे में अगर हम दीर्घावधि और मध्यावधि में इस पर विचार करते हैं तो हम अत्यंत आशावादी हैं।’’
उप प्रधानमंत्री ने चीन के विशाल आंतरिक बाजार, बड़े उपभोक्ता बाजार और वृहद निवेश बाजार की प्रशंसा की और कहा कि अमेरिका और चीन के कई साझा हित हैं और साझा प्रतिकूलताओं से निपटने के लिए उन्हें आपसी सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के लिए सहयोग ही एकमात्र विकल्प है। मुझे पूरा भरोसा है कि भविष्य में हमारे देश एक-दूसरे का सहयोग करेंगे।’’ श्री लियू ने दलील दी कि अमेरिका और चीन आपसी सम्मान और समानता के आधार पर एक अच्छा व्यापार समझौता कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अमेरिका भी इस बात को जल्दी समझ जायेगा।’’ लियू के भाषण की प्रतिलिपि चीन के सभी प्रमुख अखबारों ने शनिवार को प्रकाशित की। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का हालिया दौर बिना किसी समझौते के समाप्त हो गया हालांकि श्री लियू का कहना है कि दोनों पक्ष अगले दौर की वार्ता के लिए बीजिंग में मुलाकात के लिए राजी हो गये हैं।
उल्लेखनीय है कि इस हफ्ते की शुरुआत में व्हाइट हाउस ने चीन के 200 अरब डॉलर के उत्पादों पर अमेरिकी शुल्क 10 से 25 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। अमेरिका और चीन के बीच गत जून से ही व्यापार विवाद जारी है जब ट्रंप ने चीन के 50 अरब डॉलर के उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का निर्णय लिया था। उनका कहना था कि अमेरिका-चीन व्यापार घाटे की भरपाई करने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके बाद से ही दोनों देश नया व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं।