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द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देंगे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 18 2019 11:20PM | Updated Date: Mar 18 2019 11:20PM
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माले। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को मालदीव के गृह मंत्री इमरान अब्दुल्ला से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच द्विपक्षी संबंधों को लगातार आगे बढ़ाने की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की। अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत सुषमा स्वराज रविवार को मालदीव पहुंचीं। मालदीव में पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की ओर से द्वीपीय देश की यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा है।
 
उठाए गए कदमों पर किया विचार
सुषमा ने अपनी यात्रा के पहले दिन मालदीव में अपने समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद के साथ बातचीत की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मालदीव यात्रा के दूसरे दिन उनकी और मालदीव के गृह मंत्री इमरान अब्दुल्ला की मुलाकात अच्छी रही। दोनों देशों के नेताओं ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को लगातार आगे बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की। सुषमा सोमवार को राष्ट्रपति सोलिह से भी मुलाकात करेंगी। सुषमा की इस यात्रा के दौरान उनके साथ विदेश सचिव विजय गोखले और कई वरिष्ठ अधिकारी भी हैं।

यात्रा समग्र संबंधों को बढ़ावा देने पर केंद्रित 
सूत्रों ने बताया कि मालदीव भारत में होने वाले चुनाव के मद्देनजर चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण भारत सरकार की सीमाओं से वाकिफ है और इसलिए सुषमा की यात्रा समग्र संबंधों को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी। चीन के करीबी माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के संबंध में तनाव आ गया था।

पिछले साल दोनों देशों में आ गया था तनाव
पिछले साल पांच फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा आपातकाल लागू किए जाने के बाद भारत एवं मालदीव के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। भारत ने यामीन के फैसले की आलोचना की थी और उनकी सरकार से राजनीतिक बंदियों को रिहा कर चुनावी और राजनीतिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता बहाल करने को कहा था। मालदीव में 45 दिन तक आपातकाल रहा था। नवंबर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में यामीन को हराकर सोलिह मालदीव के राष्ट्रपति बने थे। 
 
सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे मोदी
मालदीव में नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद राजनीतिक स्तर पर भारत की ओर से यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर में मालदीव की यात्रा की थी, लेकिन उस वक्त वह सिर्फ सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए गए थे और तब दोनों नेताओं के बीच कोई विशेष बातचीत नहीं हुई थी।

 

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