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माघी पूर्णिमा पर 40 लाख श्रद्धालुओ ने लगाई आस्था की डुबकी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 19 2019 10:55AM | Updated Date: Feb 19 2019 10:55AM
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कुम्भनगर। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वाहन पर आतंकी हमले के मद्देनजर अभेद्य सुरक्षा के बीच मंगलवार को कुम्भ के पांचवें प्रमुख माघी पूर्णिमा के स्रान पर्व पर सुबह नौ बजे तक पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त सलीला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी में करीब 40 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम में माघी पूर्णिमा स्रान पर्व पर सुबह नौ बजे तक करीब 40 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। इस मौके पर लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं के स्रान करने की संभावना है। मेला प्रशासन ने सोमवार और मंगलवार की देर शाम तक 1.50 करोड श्रद्धलुओं के स्रान करने का अनुमान लगाया है। सोमवार देर शाम तक करीब 65 से 70 लाख लोगों ने त्रिवेणी में स्रान किया था।
 
यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रुप में मान्यता प्राप्त, भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने वाला यह कुम्भ भारतीय संस्कृति का द्योतक है। इस कुम्भ में पूरे भारत की संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। अपने सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी रखे अपनी वेश-भूषा में देश और प्रदेश के ग्रामीण परिवेश के वृद्ध पुरुष, महिलायें, युवा सभी उम्र के श्रद्धालुओं का हुजूम यहां देखने को मिल रहा है। भारतीय जन-जीवन, आध्यात्मिक चिंतन और विभिन्न भारतीय संस्कृति की सरिता का संगम कुम्भ में दिखाई दिया।
 
ठंड पर आस्था भारी पड़ी जब माघी पूर्णिमा का स्रान मुहूर्त भोर 4 बज कर 21 मिनट पर श्रद्धालुओं ने धता बताकर भोर के चार बजे से ही ‘‘ हर-हर गंगे और हर-हर महादेव’ को जपते गंगा में आस्था की डुबकी लगानी शुरू कर दी। त्रिवेणी के दोनो किनारे रात में एलईडी की सफेद रोशनी से ऐसा जगमगा रही थी मानो सूर्य के प्रकाश से तिमिर का वजूद खत्म हो चला है। माघी पूर्णिमा स्रान से एक दिन पहले सोमवार से श्रद्धालुओं ने तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी में डेरा डाल दिया था। 
 
श्रद्धालुओं से रैन बसेरा भर गये तब कुछ लोग गंगा किनारे खुले अंबर के नीचे एक चादर के सहारे रात काटी तो कुछ ने किसी ने त्रिवेणी मार्ग पर पेड़ के नीचे अपना आश्रय बनाया और कुछ श्रद्धालुओं ने लाल मार्ग पर बने पुल के नीचे रात गुजारी। सुबह होते ही सभी ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर माघी पूर्णिमा का पुण्य फल प्राप्त करना शुरू कर दिया।
 
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