लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एसिड अटैक के मामलो को जघन्य मानते हुए एक मामले में तेजाब फेंकने के आरोपी को जमानत देने से इस बार भी मना करते हुए चौथी बार दायर जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायालय ने माना कि ऐसे मामलों में जमानत की रियायत देना उचित नहीं है, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा । राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील जयंत सिंह तोमर ने अदालत को बताया कि एसिड अटैक समाज मे एक जघन्य अपराध की कोटि में आता है, लिहाजा ऐसे आरोपियों को जमानत पर छोड़ना समाज के लिए उचित नहीं है ।
न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पंवार की पीठ ने आरोपी राजकुमार की ओर से दायर जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिए आज यह आदेश है। गौरतलब है कि अभियुक्त राजकुमार ने युवती पर उस समय एसिड फेका जब वह निरंकारी आश्रम जा रही थी। एसिड युवती के चेहरे पर पड़ा जिससे वह घायल हो गई। परीक्षण के दौरान पीड़िता ने अभियुक्त द्वारा की गई घटना का कई बार बयान दिया। और पीड़िता स्वयं गवाह भी थी। इसके पहले भी इस मामले में वर्ष 2016 , 2017 व 2019 में अभियुक्त की तीन जमानत अर्जियां खारिज हो चुकी थी । अदालत ने इसे जमानत के लिए उचित केस न मानते हुये अभियुक्त को चौथी जमानत अर्जी भी खारिज कर दी है। अदालत ने निचली अदालत को निर्देश भी दिए है कि इस मामले का तीन माह में परीक्षण भी पूरा करें ।