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भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां 13वीं पुण्यतिथि पर किये गए याद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 22 2019 12:46AM | Updated Date: Aug 22 2019 12:46AM
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वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वारणसी में बुधवार को भारत रत्न मरहूम उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 13वीं पुण्यतिथि पर उनके मजार पर नाते-रिश्तेदारों समेत बड़ी संख्या में चाहने वालों ने श्रद्धासुमन अपिर्त कर याद किया। शहनाई के बेताज बादशाह मरहूम खां के पौत्र अफाक हैदार ने बताया कि उस्ताद के मजार पर  पुष्प चादर चढ़ाये तथा पवित्र धार्मिक ग्रंथ कुरान का पाठ किया। उनके अलावा कई सामजिक एवं राजनीतिक संगठनों तथा कई सरकारी पदाधिकारियों ने भी पुष्प अर्पित कर उस्ताद को नम आंखों से याद किया। हैदर ने बताया कि परिवार के कई सदस्य उस्ताद की शहनाई वादन शैली को आगे ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

सरकर भी उनका साथ देती तो इस परंपरा को आगे बढ़ाना काफी हद तक आसान हो जाता। उन्होंने सरकार से अपने परिवार के पढ़े-लिखे बेरोजगारों को विशेष अवसर प्रदान करने की अपील की। भारत रत्न के अलावा पद्मभूषण, मद्मश्री समेत देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे गए उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म बिहार के डुमरांव में 21 मार्च 1916 को हुआ था।

21 अगस्त 2006 को उनकी कर्मभूमि वाराणसी में हृदय गति रुकने के कारण इंतकाल हो गया था। शहनाई वादन कला को दुनियाभर में खास पहचान दिलाने बिस्मिल्लाह खां, पैगंबर बख्श खां के द्तिीय बेटे थे। उनके परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि उस्ताद का नाम उनके दादा रसूल बख्श खां ने रखा था। उनकी संगीत की शिक्षा उनके मामा की देखरेख में हुई थी। रसूल बख्श खां वाराणसी के प्रचीन काशी विश्वनाथ मंदिर से लंबे समय तक जुड़े रहे। उस्ताद की शहनाई की मधुर ध्वनि देश-विदेश में विशेष अवसरों के अलावा मुस्लिम एवं हिन्दू ज्योहारों पर इस धार्मिक नगरी में विशेष रूप सो सुनायी देती थी।

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