लखनऊ। छात्रों में राष्ट्रवाद की अलख जगाने और उन्हे सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के मकसद से आयोजित सीमा दर्शन कार्यक्रम के तहत 50 छात्रों के एक दल ने उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सात दिन बिताये और विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा के लिये तैनात सैन्य बलों के पराक्रम को नजदीक से देखा। मध्य कमान के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को यहां बताया कि केंद्रीय विद्यालय से संबंधित 50 छात्रों के एक समूह ने 13 से 19 मई 2019 के बीच ‘‘सीमा दर्शन’’ पहल के तहत दौरे के तहत पिथौरागढ़ और आगे के क्षेत्रों का दौरा किया।
सात दिनों के दौरे के दौरान, छात्रों को भारत-नेपाल सीमा के साथ धारचूला ले जाया गया था, जहां सेना के जवान देश की रखवाली कर रहे थे, जिसमें मौसम की सबसे खराब स्थिति और विश्वासघाती इलाकों को देखते हुए पहला अनुभव था। उन्होने बताया कि यात्रा का मुख्य आकर्षण ‘हथियार और उपकरण प्रदर्शन’ और ‘रॉक क्लाइम्बिंग’ पर एक प्रदर्शन था। भारतीय सेना में शामिल होने के रास्ते और तरीके पर एक व्याख्यान भी आयोजित किया गया था ताकि छात्रों को शस्त्र के पेशे को अपनाने और राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
छात्रों के चेहरे पर उत्साह और उतावलापन दिखाई दे रहा था, जो सैनिकों को ऐसी कठिन परिस्थितियों में काम करते देख पूरी तरह से जाग गए थे। प्रवक्ता ने बताया कि 'सीमा दर्शन ’मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की जा रही एक अनूठी पहल है, जिसमें स्कूली बच्चे हमारे देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य के साथ छात्रों को प्रचलित करने का पहला अनुभव प्रदान करते हैं।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा का माहौल समेत अन्य उद्देश्य छात्रों में देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना को और मजबूत करते है। इसके अलावा बच्चों को सीमा के वातावरण का अनुभव करने का अवसर प्रदान करना है। यह दौरा छात्रों को भविष्य में सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए भी प्रेरित करेगा।