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बैन दीदी अब कहला सकती हैं ‘बैंडी’:सिद्धार्थ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 13 2019 10:10PM | Updated Date: May 13 2019 10:10PM
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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी के बयान पर चुटकी लेते हए कहा कि बैन दीदी अब कहला सकती हैं ‘‘बैंडी’’। सिंह अपने ने सोमवार को यहां अपने आवास पर कहा कि सुश्री ममता पश्चिम बंगाल में चुनाव हारने के डर से इतना घबरा गई है कि उनको लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हर चीज को बैन कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि ममता जी चुनाव हार रही हैं। हार के डर से सोचा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली हो तो उसमें अड़ंगा लगा दो, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी आएं तो उनको बैन कर दो, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रैली को बैन कर दो,उनके हेलीकॉप्टर को उतरने ना दो।
 
स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि अब तो ममता जी का एक नया नाम हो गया है और जो लोग उन्हें ममता दीदी कहते थे, अब उन्हें ‘बैन दीदी’ कहने लगे हैं और आने वाले समय में लोग उन्हें ‘‘बैंडी’’ भी कहने लगेंगे। कांग्रेस के कद्दावर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा प्रधानमंत्री को लेकर की गयी टिप्पणी पर सिंह ने कहा, ‘‘खड़गे साहब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं और जिस प्रकार की भाषा का वह इस्तेमाल कर रहे हैं वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।’’ लोकतंत्र में जब चुनाव होता है ,तो एक दूसरे को चुनौती दी जाती है और चुनौती को स्वीकार भी करना चाहिए तथा भाषा की मर्यादा को तार-तार नहीं करना चाहिए। उन्होंने इसका मुख्य कारण सोनिया गांधी और राहुल गांधी को खड़गे का प्रेरणा स्रोत हैं। आजकल तो उन्हें प्रियंका वाड्रा से भी प्रेरणा मिल रही है। कांग्रेस और उनके नेताओं पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि श्री खड़गे को यह भी बताना चाहिए कि जब 2014 में कांग्रेस की 44 सीटें आई थीं तो क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने फांसी लगाई थी और यदि नहीं लगाई थी तो इसका भी जवाब खड़गे को देना चाहिए।
 
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती द्वारा प्रधानमंत्री पर दलित प्रेम को दिखावा पर पलटवार करते हुए सिंह कहा ने उन्होंने दलितों के साथ एक ही प्रेम किया है और अपने गले में करोड़ों का हार बनवाकर पहनना शुरू किया । महलों में रहना शुरू किया। दलित जो थे वह गरीबी रेखा से और भी नीचे चले गए। आज मायावती को जवाब देना चाहिए कि भाजपा सरकार ने जो शौचालय बनवाए, दलितों के लिए मकान बनवाये तो उन्हें क्यों बनवानी पड़ी। सिंह ने कहा कि इसका कारण साफ है कि यह सब काम उन्होंने खुद नहीं किए थे। श्री मोदी ने दलितों को उनका अधिकार दिलाने का काम किया है, साथ ही बाबा साहब आम्बेडकर के लिए भी चाहे मुंबई, दिल्ली हो या फिर लंदन वहां पर भी उनके सम्मान में संग्रहालय बनवाए हैं। बसपा अध्यक्ष ने तो केवल अपनी मूर्ति और महल ही बनवाया है। सिद्धार्थ ने याद दिलाया कि कुंभ आयोजन के दौरान सफाई कर्मियों के चरणों को धोकर जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने अपनी भावनाओं के माध्यम से उनके प्रति सम्मान प्रकट किया, ऐसा सम्मान आज तक दलितों को सुश्री मायावती समेत किसी ने भी नहीं दिया।
 
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