भुवनेश्वर। ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल को शनिवार को उस समय गहरा झटका लगा जब उसके भद्रक से सांसद अर्जुन चरण सेठी और उनके पुत्र अभिमन्यु सेठी तथा पार्टी के दिग्गज नेता एवं पूर्व सांसद मोहन जेना ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। सेठी और जेना अपने-अपने समर्थकों के साथ यहां भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में नयी पार्टी में शामिल हुए। इस अवसर पर पार्टी के महासचिव और ओडिशा मामलों के प्रभारी अरूण सिंह और अन्य नेता भी मौजूद थे। लंबे समय तक सांसद रहे भद्रक लोकसभा सीट से आठ बार निर्वाचित सेठी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
वह चुनावों में टिकट बंटवारे को लेकर असंतुष्ट थे। सेठी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ पार्टी के जिला अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है। वह बीजद के तीसरे सांसद हैं जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है। हाल ही में नबरंगपुर से बीजद सांसद बालाभद्र मांझी और कंधमाल से सांसद प्रत्यूष राजेश्वरी सिंह ने पार्टी में टिकट बंटवारे पर सवाल उठाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। भद्रक लोक सभा सीट से सबसे लंबी अवधि तक सांसद रहे सेठी ने चुनाव में पार्टी टिकट वितरण करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इससे पहले बीजद से इस्तीफा दे दिया था। वह इस बार अपनी सीट से अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन पार्टी ने बाप-बेटे दोनों को ही टिकट देने से इंकार कर दिया। मांझी और प्रत्यूष पहले ही भाजपा में शामिल हो गये थे।
मांझी नबरंगपुर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। पेशे से अध्यापक और अनुसूचित जाति के प्रमुख नेता के रूप में श्री सेठी ने पहली बार उत्तरी ओडिशा से पांचवीं और छठी लोकसभा सीट भद्रक से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। इसके बाद उन्होंने जनता दल और बीजू जनता दल के प्रत्याशी के तौर पर 10वीं लोकसभा में निर्वाचित हुए पहले जनता दल और उसके बाद बीजू जनता दल के प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुए। वह केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2000-2004 के दौरान जल संसाधन मंत्री भी रहे। श्री सेठी ने जनता दल उम्मीदवार के रूप में भानदारिपोखरी विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। जाजपुर सीट से सांसद रहे श्री जेना ने वर्ष 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने 28 मार्च को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पार्टी टिकट से वंचित होने के बाद पार्टी छोड़ी तथा भाजपा का दामन थाम लिया।